शिवालयों में गूंजा हरहर महादेव, दर्शन करने को लगा श्रद्धालुओं का तांता

घर के आस-पास मंदिरों में जलाभिषेक कर मांगी मन्नतें
मंगला आरती के बाद सजा बाबा विश्वनाथ का दरबार
सावन का पहला सोमवार आज, खास योग में श्रद्धालु रहेंगे व्रत

सुरेश गांधी

वाराणसी। भगवान शिव का प्रिय माह सावन रविवार से शुरू हो गया। सावन के पहले ही ही दिन शिव मंदिरों में श्रद्धालु सुबह से ही दर्शन, पूजन और जलाभिषेक करने पहुंचे, जो देर रात तक चला। भक्तों की भीड़ से शिवाले गुलजार रहे और इस दौरान महादेव के जयकारे से वातावरण गूंजता रहा। हालांकि, बड़े मंदिरों में भक्तों को गर्भगृह तक जाने की अनुमति नहीं होने से दूर से ही भक्त दर्शन करते रहे। मंदिर प्रबंधन ने बड़े से पात्र में जल अर्पित करने की व्यवस्था की थी। इस पात्र से होकर जल शिवलिंग तक पाइप के जरिये पहुंचता रहा। तो दुसरी तरफ मंदिरों में भीड़भाड़ से बचने के लिए कई श्रद्धालुओं ने अपने घर के पूजा स्थल पर ही छोटे से शिवलिंग की स्थापना करके पूजन, अभिषेक किया। सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को है। कहते है जो कोई भक्त सावन में पड़ने वाले सोमवार का व्रत सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी सारी मुरादें पूरी करती हैं। सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा सौभाग्य योग में की जाएगी। इस दिन श्रावण मास की तृतीया तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा 26 जुलाई को कुंभ राशि में रहेंगे। जहां पर देव गुरु बृहस्पति वक्री होकर विराजमान हैं।

बता दें, छोटे मंदिरों में भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। कोरोना महामारी के नियम भी भक्तों की आस्था को डिगा नहीं सकी। पहले दिन से ही कई छोटे मंदिरों में दर्शन, पूजन, अभिषेक करने श्रद्धालु पहुंचे। वहां बड़े मंदिरों की तरह भीड़-भाड़ नहीं होने की वजह से भक्तों को गर्भ गृह तक जाने का मौका मिला और भक्तों ने पूरी भक्ति के साथ भोलेनाथ का पूजन और अभिषेक किया। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह मंगला आरती के बाद दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ने लगी और बाबा दरबार में आस्थावानों ने हाजिरी लगाकर बाबा का जलाभिषेक किया। बीएचयू विश्वनाथ, सारंगनाथ, मारकंडेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव सहित कई मंदिरों और शिवालयों में आस्था परवान चढ़ी रही। सोनभद्र, बलिया, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, मीरजापुर, जौनपुर, भदोही और चंदौली आदि जिलों के चर्चित शिवालयों में लोग सुबह जलाभिषेक करने पहुंचे और हर हर महादेव के उद्घोष से प्रांगण गूंज उठा।

रुद्राभिषेक है फलदायी : धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है। पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं। शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है।

सावन मास व्रत नियम

सावन महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए
इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए
घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए
सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है
मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है
बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है
सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए
अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें

पूजा विधि : सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें।

पूजन सामग्री : पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

भगवान शंकर को प्रिय है दूध : भगवान शंकर को दूध बेहद प्रिय है. इसलिए उनकी पूजा में दूध का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को दूध चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है. सावन में दूध से रुद्राभिषेक भी किया जाता है. इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

सोमवार के व्रत से शनि दोष होता है खत्म : सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है.माना जाता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है. जिन पर शनि का दोष हो इनका शनि दोष खत्म हो जाता है।

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