
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आगामी नौ अगस्त को होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव के लिए तृणमूल के उम्मीदवार जवाहर सरकार के समक्ष भारतीय जनता पार्टी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इसकी घोषणा की। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने पहले इस सीट पर प्रतिद्वंद्विता करने की घोषणा की थी लेकिन जीत की संभावना न के बराबर होते देख अब निर्णय बदल लिया है।
विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे से बंगाल से राज्यसभा की यह सीट रिक्त हुई थी। तृणमूल कांग्रेस ने प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार को उम्मीदवार बनाया है। वे बुधवार को विधानसभा जाकर नामांकन पत्र भी जमा कर चुके हैं। आंकड़ों के हिसाब से जवाहर सरकार का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है क्योंकि यह सीट तृणमूल के ही पास थी।
जवाहर सरकार मोदी सरकार के आलोचक माने जाते हैं। माना जा रहा है कि इसी को देखते हुए मोदी सरकार व भाजपा की धुर विरोधी ममता ने राज्यसभा के लिए उन्हें नामित कर बड़ा दांव चला है। तृणमूल उम्मीदवार के तौर पर अपने नाम की घोषणा होने के बाद जवाहर सरकार ने कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकनायकत्व व सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
उन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही प्रसार भारती के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सांप्रदायिकता, एकनायकत्व व देशव्यापी आर्थिक अव्यवस्था को स्वीकार नहीं कर पाए थे। वे नामांकन को इसलिए स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि इसके जरिए वे मानवाधिकार उल्लंघन व सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ पाएंगे। अटकलें लगाइ जा रही थी कि मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी इस सीट से वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राज्यसभा में भेज सकती हैं, जो चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हुए थे। सिन्हा के अलावा मुकुल राय के नाम की भी चर्चा थी लेकिन तृणमूल ने पूर्व नौकरशाह जवाहर सरकार के नाम की घोषणा कर सबको चौंका दिया। इसके बाद भाजपा के कुछ नेताओं ने दावा किया था कि राज्यसभा के लिए मुकुल रॉय पर दबाव बनाने हेतु भाजपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है। हालांकि गुरुवार को शुभेंदु अधिकारी ने साफ कर दिया है कि ऐसा नहीं किया जाएगा।
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