किसी डेब्यू जोड़ी का रोमांटिक फिल्मों से आगाज इन दिनों बदलते समय में मुश्किल सा ही हो गया है। लव स्टोरीज के तमाम सारे पहलू अब घिसे पिटे फॉर्मूले से लगने लगे हैं। एेसे में डेब्यू कलाकारों की रोमांटिक फिल्म बनाना वाकई चुनौती है। लेकिन इसमें निर्देशक अभिराज मीनावाला काफी हद तक कामयाब रहे। लव स्टोरी के फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हुए भी उन्होंने एक अलग तरह का कंटेंट जनरेट करने में कामयाबी हासिल की है। यह कोई महान फिल्म नहीं है लेकिन एक मनोरंजक फिल्म जरूर है जो आज के युवाओं को निश्चत की आकर्षित करेगी।
कहानी वडोदा में होने वाले गरबा आयोजन की है जिससे सुश्रुत (आयुष शर्मा) का बहुत लगाव है क्योंकि उसका सपना है एक गरबा अकेडमी खोलना। इसके अलावा उसे कुछ और नजर नहीं आता। एेसे में 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि फेस्टिवल से किस प्रकार सुश्रुत की जिंदगी में मिशेल (वरीना हुसैन) की एंट्री होती है उसका फिल्मांकन बखूबी किया गया है। फिल्म को फैमिली ड्रामा बनाने की कोशिश जरूर की गई लेकिन यह कोशिश अधूरी सी लगती है।
बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले कलाकारों में इस प्रकार का आत्मविश्वास शुरूआत में कम ही देखने को मिलता है जो आयुष शर्मा और वरीना हुसैन को देखकर लगता ही नहीं कि यह उनकी पहली फिल्म है। इस फिल्म में दोनों का परफॉर्मेंस अच्छा है। इस फिल्म के माध्यम से बॉलीवुड में नए सितारों का आगाज हुआ है जो आने वाले समय में और निखर कर बेहतरीन कलाकारों के रूप दर्शकों के सामने आएंगे। राम कपूर की उपस्थित सशक्त रही। रोनित रॉय की पर्दे पर उपस्थित ही पर्दे में जान डाल देती है।
फिल्म के संगीत की बात करें तो यह बहुत अच्छा है। खास तौर पर गाने बहुत कर्णप्रिय हैं और दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ते हैं। तनिष्क बागची द्वारा कंपोज किए गए गीत ढोलिडा और चोगड़ा काफी एनर्जेटिक हैं। गानों की कोरियोग्राफी भी शानदार है जो नए स्टेप्स को जन्म देती है।
डायरेक्शन की बात करें तो अभिराज मीनावाला भी ने भी बतौर डायरेक्टर सफल डेब्यू किया है। फिल्म में कई मोमेंट्स और ड्रामा को खूबसूरती से क्रिएट किया गया है। लवयात्री को लेकर यह कहा जा सकता है कि कमर्शियल स्पेस में यह एक मनोरंजक फिल्म है जो खास तौर पर यंगस्टर्स को पसंद आएगी।
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