इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ दुबई में ली सेल्फी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबई में वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट (COP28) में भाग लेने के बाद शुक्रवार देर रात भारत वापस आ गए. सीओपी28 समिट के दौरान पीएम मोदी ने दुनियाभर के नेताओं से मुलाकात की. इनमें इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी में भी शामिल हैं. जब पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से मिले तो वह पीएम मोदी के साथ सेल्फी लेने से खुद को रोक नहीं पाईं. उन्होंने पीएम मोदी के साथ सेल्फी ली और अपने एक्स अकाउंट से इस तस्वीर को शेयर किया.

जॉर्जिया मेलोनी ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘COP28 में अच्छे दोस्त #Melodi’मेलोनी द्वारा लिखे गए मेलोदी का मेल का मतलब मोलोनी और ओदी का अर्थ मोदी है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर के नेताओं के साथ शुक्रवार को दुबई में आयोजित जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लिया. वह एक दिवसीय यात्रा पर यूएसी पहुंचे थे.

पीएम मोदी ने सम्मेलन के चार सत्रों को किया संबोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीओपी28 के दौरान इटली की पीएम जोर्जिया मेलोनी के अलावा ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, ब्राजील के प्रधानमंत्री लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरन, पूर्व ब्रिटिश पीएम टोनी ब्लेयर से भी मुलाकात की. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के चार सत्रों को संबोधित किया. इस दौरान दुनियाभर के नेताओं ने एक साथ फोटो ली.

पीएम मोदी सीओपी28 में समिट में शामिल होने के बाद देर रात भारत लौट आए. इसके बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि दुबई आपका शुक्रिया. सीओपी28 समिट बेहतरीन रहा. एक बेहतरीन प्लैनेट बनाने के लिए मिलकर काम करते रहें. बता दें कि सीओपी28 समिट की शुरूआत दुबई में 30 नवंबर को हुई. जो 12 दिसंबर तक चलेगा.

जानें क्या है सीओपी?

कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP) उन देशों का समूह है जिन्होंने साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. दुबई में चल रही सोओपी की ये 28वीं बैठक है. जिसकी वजह से इसे COP28 कहा जा रहा है. इस समिट में पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के दीर्घकालिक लक्ष्य को बरकरार रखने की कोशिश की जा रही है. साल 2015 में पेरिस में हुए जलवायु समझौते में लगभग 200 देशों ने इसे लेकर सहमति बनाई थी, यूएन में जलवायु पर नजर रखने वाली संस्था इन्वेस्टमेंट पेनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के खतरनाक असर को रोकने के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस का लभ्य रखा गया है.

 

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