सभी पार्टियों को दूसरे दलों से आए उधार के नेताओं की जरूरत

पटना: लोकसभा चुनाव में बिहार के सभी सात चरणों में मतदान होना है। सभी दल इस चुनावी समर में योद्धाओं को उतारने में जुटे हैं। ऐसे में देखा जाए तो इस चुनाव में कोई भी दल अकेले उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। दीगर बात है कि सभी दल पिछले पांच वर्षों में एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं।

इतना ही नहीं, इन दलों को दूसरे दल से आए उधार (बाहरी) के नेताओं को भी टिकट देना पड़ रहा है। इस चुनाव में भी बिहार में मुख्य मुकाबला एनडीए और राजद नीत महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।

एनडीए के घटक दलों में भाजपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा तथा जदयू समेत करीब सभी दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।

इधर, महागठबंधन ने औपचारिक रूप से अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। देखा जाए तो सभी दलों को चुनावी मैदान में उतरने के लिए उधार के योद्धाओं की जरूरत पड़ी है।

इसमें सबसे आगे जदयू नजर आ रही है। जदयू ने राजद से आई पूर्व सांसद लवली आनंद को शिवहर से उम्मीदवार बनाया है। कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह कुशवाहा अपनी पत्नी विजयलक्ष्मी के साथ जदयू में शामिल हुए। विजयलक्ष्मी सिवान से जदयू उम्मीदवार हैं।

विधानसभा में सबसे बड़े दल राजद को भी दूसरे दलों से उम्मीदवार लेना पड़ रहा है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ फातमी और युवा जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह कुशवाहा राजद में शामिल हो गए। फातमी के मधुबनी से चुनाव लड़ने की संभावना है। कुशवाहा को राजद ने औरंगाबाद से सिंबल दे दिया है।

जदयू विधायक बीमा भारती राजद में शामिल हो गई है, कहा जा रहा है कि भारती पूर्णिया से चुनाव लड़ सकती हैं।

इधर, पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भी अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया है।

भाजपा की बात करें तो भाजपा ने अपने खाते की 17 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भाजपा के मुजफ्फरपुर से प्रत्याशी राज भूषण निषाद पिछला लोकसभा चुनाव विकासशील इंसान पार्टी के टिकट से लड़े थे। लेकिन चुनाव जीत नहीं सके थे।

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