राघवेन्द्र प्रताप सिंह: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के दो जवानों की नक्सली हमले में मौत हो गई है। ये जवान कोबरा बटालियन के जंगल वारफेयर यूनिट का हिस्सा थे। नक्सलियों ने एक ट्रक में आईईडी ब्लास्ट कराकर इस घटना को अंजाम दिया। नक्सलियों द्वारा इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस का इस्तेमाल बड़े हमले के लिए लगातार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के निवासी 29 वर्षीय कांस्टेबल शैलेंद्र और 35 वर्षीय ड्राइवर विष्णु की अब हालिया नक्सली हमले में मौत हो गई है। निश्चित रूप से अब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर निर्णायक प्रहार करने की आवश्यकता है। भारत के अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली हिंसक गतिविधियों पर ठीक-ठाक नियंत्रण कर लिया गया है लेकिन छत्तीसगढ़ इसके बेस के रूप में अभी भी बचा हुआ है। नक्सल कैंपों को नष्ट करने के लिए सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं लेकिन देश को अभी नक्सलवाद मुक्त नही बनाया जा सका है।
छत्तीसगढ़ की चुनौतीपूर्ण स्थिति :
वर्ष 2000 के आसपास छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या सामने आई। यहाँ स्थिति और भी गंभीर व चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि यहाँ के कई क्षेत्रों में उस समय तक सर्वेक्षण या संस्थागत ‘मैपिंग’ नहीं की गई थी। वर्ष 2018 से 2020 के मध्य, 45 प्रतिशत घटनाएँ केवल छत्तीसगढ़ में घटित हुईं। आंध्र प्रदेश की तुलना में इस राज्य की भौगोलिक एवं जनांकिकीय स्थिति काफी अलग है। छत्तीसगढ़ के आंतरिक भाग में बुनियादी सुविधाओं जैसे- विद्यालय, चिकित्सालय, सड़कें आदि का अभाव है। परिणामस्वरूप, ग्रामीणों में भी राज्य के प्रति असंतोष की भावना रहती है, इसी का फायदा उठाकर नक्सली दुष्प्रचार के माध्यम से अपने ‘कैडरों’ की भर्ती करते हैं।
नक्सलवाद के विरुद्ध शुरू किया गया ‘सलवा जुडूम’ भी ‘काउंटर-प्रोडक्टिव’ हुआ। साथ ही, कमज़ोर आसूचना तंत्र के कारण ‘ऑपरेशनल समस्याएँ’ होती रहीं हैं। राज्य सरकार ने नक्सलवाद को रोकने के लिये ‘ज़िला रिज़र्व गार्ड’ का गठन किया है। इसमें आदिवासी क्षेत्रों, जैसे बस्तर आदि से युवाओं तथा आत्मसमर्पण किये नक्सलियों को शामिल किया जाता है। 2010 में चिंतलनार (सुकमा ज़िला) में घात लगा कर किये गए हमले में 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे जो सीआरपीएफ के कर्मी थे। इसके बाद से दंतेवाड़ा-सुकमा-बीजापुर क्षेत्र में नियमित अंतराल पर नक्सली हमले होते रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में औपचारिक रूप से नक्सली हिंसा को ‘देश की सबसे बड़ी आंतरिक समस्या’ के रूप में स्वीकार किया। साथ ही, समस्या के समाधान हेतु सरकार ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण करने सहित कई अन्य कदम उठाए।
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal