दरअसल, श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण 2022 में विद्रोह हुआ था। इस विद्रोह के बाद यह पहला राष्ट्रपति चुनाव था। इस चुनाव में कुल 39 उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी ठोक रहे थे, जिनमें से पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा और अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच मुख्य मुकाबला था।
अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने इस चुनाव में नेशनल पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन किया था। उनके गठबंधन को चुनाव में जीत मिली, इसके बाद अनुरा कुमारा दिसानायके को श्रीलंका का नया राष्ट्रपति चुना गया।
अनुरा कुमारा दिसानायके साल 2022 में उस वक्त सुर्खियों में आए, जब वह श्रीलंका में आर्थिक संकट के दौरान हुए जन विद्रोह का मुख्य चेहरा बने। विद्रोह के दौरान उन्होंने जनता की आवाज को बुलंद किया था। इसके चलते श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को सत्ता छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटनाक्रम के बाद अनुरा कुमारा दिसानायके की लोकप्रियता में इजाफा हुआ। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की बात कही थी।
बताया जाता है कि वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके की चीन से करीबी नजदीकियां हैं, जिसका श्रीलंका-भारत के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भारत के साथ चल रही कई योजनाओं को लेकर टिप्पणी की थी, उन्होंने इसे बंद करने की भी बात कही थी।
बता दें कि अनुरा कुमारा दिसानायके साल 1987 में ही पहली बार चर्चा में आए थे। इस दौरान उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने 80 के दशक में श्रीलंका और भारत के बीच शांति समझौते का विरोध किया था। श्रीलंका चुनाव पर भारत की पहले से ही नजर थी। हालांकि, अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वहां कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
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