समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जिनेवा में एक प्रेस कॉन्प्रेंस में चार एक्सपर्ट्स ने, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इजरायल को इंटरनेशनल कानून के कथित उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराएं। इन उल्लंघन में हिंसा, मानवीय नाकेबंदी और कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में बस्तियों का विस्तार शामिल है।
ये चारों एक्सपर्ट्स संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेष प्रतिवेदक भी हैं।
जजों और वकीलों की स्वतंत्रता पर विशेष प्रतिवेदक मार्गरेट सैटरथवेट ने इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट को अपमानजनक धमकियों के साथ कमजोर करने के लिए अमेरिकी सरकार की आलोचना की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्याय को सभी के लिए समान रूप से लागू करने की जरुरत पर बल दिया।
सैटरथवेट ने कहा, यह दोहरे मापदंड को समाप्त करने का समय है।
1967 से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर फ्रांसेस्का अल्बानीज ने बड़ी संख्या में नागरिकों की मृत्यु और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर हमलों को इजरायल की ओर से लगातार उल्लंघन का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि इसे इंटरनेशनल जवाबदेही की कमी से बढ़ावा मिला।
अल्बानीज ने कहा, इजरायल पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाए गए न्यायिक प्रक्रियाओं को या तो नज़रअंदाज किया जाता है या उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है, व्यापार जारी रहता है और कूटनीतिक संबंध भी बरकरार रहते हैं। सदस्य देश पंगु या अचंभित नजर आते हैं, उनमें से कई अभी भी कब्जे को सामान्य मान रहे हैं।
आतंकवाद का मुकाबला करते हुए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रमोशन और प्रोटेक्शन पर विशेष प्रतिवेदक बेन सॉल ने पिछले 14 महीनों में फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्यधिक हिंसा और फिलिस्तीनी लोगों के साथ लगातार हो रहे अमानवीय व्यवहार को उचित ठहराने के लिए इजरायली बयानबाजी की आलोचना की।
बेन सॉल ने विश्वसनीय जांच और सजा से मुक्ति के अंत की अपील की। उन्होंने कहा कि उल्लंघनों को बड़े पैमाने पर उन राज्यों द्वारा चुनौती नहीं दी गई है जो महत्वपूर्ण हैं और जो इजरायल के व्यवहार को बदलने में वास्तविक प्रभाव डाल सकते हैं।
सॉल ने विशेष रूप से इजरायल को सैन्य हार्डवेयर के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका की आलोचना की।
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