न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति साईश चंद्र शर्मा की पीठ अंजू देवी की याचिका पर सुनवाई कर सकती है, जिन्होंने अपने चार वर्षीय पोते की कस्टडी की मांग करते हुए याचिका दायर की है।
7 जनवरी को शीर्ष अदालत ने उसे नाबालिग की कस्टडी देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह बच्चे के लिए अजनबी है। सुनवाई में, सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा था, यह कहते हुए खेद हो रहा है, लेकिन बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है। यदि आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिलें। यदि आप बच्चे की कस्टडी चाहते हैं तो इसके लिए अलग प्रक्रिया है।
एक निजी कंपनी में डिप्टी जनरल मैनेजर 34 वर्षीय सुभाष ने 9 दिसंबर, 2024 को बेंगलुरू में फांसी लगा ली थी। इससे पहले उन्होंने वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा था। इस नोट में उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया (अलग रह रही) और उनके ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
बाद में सिंघानिया परिवार को सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और 4 जनवरी को सशर्त जमानत दे दी गई।
सुभाष की पत्नी और ससुराल वालों को पिछले साल दिसंबर में बेंगलुरू पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मृतक के भाई की शिकायत के आधार पर सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस पूछताछ के दौरान निकिता ने दावा किया कि अतुल ही उसे परेशान करता था। उन्होंने मामले में जमानत के लिए बेंगलुरू की सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
इससे पहले दिसंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निकिता सिंघानिया के चाचा सुशील सिंघानिया को अग्रिम जमानत दे दी थी। उनका नाम भी इस मामले में शामिल था।
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