राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आयुर्वेद पर्व-2025 राष्ट्रीय सेमिनार और आरोग्य मेले का उद्घाटन करते हुए कहा, किसी पैथी का संबंध भगवान से हो न हो, मगर आयुर्वेद का संबंध भगवान से है। जब यह सम्मेलन चल रहा है, उसी समय प्रयागराज में मंथन चल रहा है। इससे हमारी उस अवधारणा की पुष्टि होती है, जिसमें यह माना जाता है कि समुद्र मंथन हुआ था और समुद्र मंथन में कई चीजें निकलीं। उनमें भगवान धनवंतरी भी प्रकट हुए। इस बात का सौभाग्य है कि इसी समय प्रयागराज में मंथन चल रहा है और हमारे उस विश्वास की पुष्टि भी हो रही है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ का जिक्र करते हुए कहा कि तब एक बार दुनिया के सभी सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक, परंपराओं के सभी प्रकार के महान व्यक्तियों का आना होगा, उनका हम पलक पावडे़ बिछाकर स्वागत करेंगे। इस आयोजन में भी आयुर्वेद की चर्चा होगी। आयुर्वेद हजारों साल पुरानी परंपरा है। ज्ञात इतिहास में 5000 साल पुरानी है। लेकिन, अब दुनिया इस तरफ जा रही है, देख रही है। हम उनके राजदूत हैं।
उन्होंने आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच के असर को लेकर चलने वाली चर्चा का जिक्र करते हुए बताया कि ऐसा कहा जाता है कि आयुर्वेद की दवाई बहुत अच्छी तो रहती है, मगर समय लगाती है। मुझ पर तो जल्दी असर कर गई, पिछले कार्यक्रम के समय शिक्षा मंत्री था, अब मुख्यमंत्री। मध्य प्रदेश से आयुर्वेद का संबंध पुराना है। हमारी अपनी धरती पर भगवान धनवंतरी के भी प्रकट होने की घटना को सिंहस्थ कुंभ बताता है। आज पूरी दुनिया आयुर्वेद की तरफ देख रही है, इसलिए आयुर्वेद के चिकित्सकों के साथ मिलना हो रहा है। राज्य में 56 आयुर्वेदिक और सरकारी मेडिकल काॅलेज चल रहे हैं।
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