कोहिमा। नगालैंड में छात्र समूहों और नौकरी के इच्छुक लोगों ने उच्च शिक्षा निदेशालय (डीएचई) के तहत कॉलेजों में 147 तदर्थ एवं अनुबंध सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन शुरू किया।
नगा छात्र संघ (एनएसएफ) ने सात दिन की समय सीमा समाप्त होने के बाद ‘नगा सॉलिडेरिटी पार्क’ से डीएचई कार्यालय तक मार्च के साथ अपने आंदोलन का पहला चरण शुरू किया, जहां छात्रों ने धरना दिया।
प्रदर्शनकारी 21 अप्रैल के उस आदेश को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत इन नियुक्तियों को नियमित किया गया था। उनका कहना है कि समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए इन पदों को नगालैंड लोक सेवा आयोग (एनपीएससी) के जरिए खुली प्रतियोगिता के माध्यम से भरा जाना चाहिए।
विभिन्न एनएसएफ इकाइयों के एक हजार से अधिक छात्र स्वयंसेवक प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं।
एनएसएफ अध्यक्ष मेदोवी री ने सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे योग्यता का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि आंदोलन 147 उम्मीदवारों की सेवा को नियमित करने में सरकार की ‘‘अनुचित कार्रवाई’’ के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘निष्पक्षता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता, लेकिन सरकार ने नगा छात्रों और उम्मीदवारों के साथ अन्याय किया है, जिससे युवाओं की कड़ी मेहनत को अवसर नहीं मिल पाया है।’’
उन्होंने कहा कि यह योग्यता के विचार पर एक शुद्ध हमला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई पक्षपात नहीं चाहते हैं, बल्कि जो हमारा अधिकार है, वही मांगते हैं।’’
री ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता, एनएसएफ चुप नहीं बैठेगा।
इस बीच, ‘कंबाइंड टेक्निकल एस्पिरेंट्स नगालैंड’ (सीटीएएन) और ‘नगालैंड नेट क्वालिफाइड फोरम’ (एनएनक्यूएफ) ने भी इसी मुद्दे पर सरकार द्वारा उनकी मांगों को ‘‘पूरा नहीं करने’’ के विरोध में अपने आंदोलन का दूसरा चरण फिर से शुरू कर दिया।
सीटीएएन और एनएनक्यूएफ के नेता और स्वयंसेवक अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर डीएचई कार्यालय के बाहर जमा हुए जिनमें नियमितीकरण आदेश को रद्द करना, मामले के विवरण की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति को भंग करना तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से 17 पदों के लिए भर्ती करना शामिल है।
स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।