स्मृति ईरानी ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में युवा संसद को किया संबोधित; समता, विकास, लैंगिकता और प्रतिनिधित्व पर की बात

सोनीपत (हरियाणा)। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने विभिन्न विषयों पर आयोजित परिचर्चा में युवा संसद और ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित किया। परिचर्चा का थीम था: लोकसभा, संविधान सभा और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति तथा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सीधे छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि कोई भी अनुभवी राजनेता रचनात्मक आलोचना से जुड़ने में सक्षम होगा। चर्चा और बहस में स्पष्टवादिता का प्रदर्शन करते हुए ईरानी ने छात्रों के सामने भाषण देने की बजाय उनसे सीधे संवाद करने को प्राथमिकता दी, जहां उनसे बिना किसी तैयारी के तीखे सवाल पूछे गए। इस तरह उन्होंने खुद को हर तरह की चर्चा के लिए उपलब्ध रखने का विकल्प चुना।

उन्होंने परिचर्चा में शामिल छात्रों और मेहमानों को आश्वस्त किया कि वह स्पष्ट कर देना चाहती हैं कि वह न केवल उन लोगों के साथ, जो उनकी राजनीति से सहमत हैं, बल्कि वैचारिक विभाजन के दूसरे पक्ष से भी एक स्वतंत्र बहस सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने कहा, चूंकि प्रश्न करने वाले छात्रों में से कोई भी मुझे नहीं जानता, इसलिए यह एक लोकतांत्रिक और खुली बातचीत होगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैं लोगों को आलोचना करने से कभी हतोत्साहित नहीं करूंगी। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आलोचना करेंगे क्योंकि यह उनके लिए राजनीतिक रूप से विवेकपूर्ण है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आलोचना करेंगे क्योंकि यह उनके लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद है, और मुझे लगता है कि एक अनुभवी राजनेता दोनों के बीच अंतर करना जानता है। इसलिए, आलोचना करने में कुछ भी गलत नहीं है। मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट जीवंतता है। मुझे नहीं पता कि कितने लोग मेरी आलोचना करेंगे, लेकिन मैं इतनी अनुभवी हूं कि मैं जानती हूं कि मेरी स्थिति स्पष्ट है। मुझे लगता है कि अगर आप खुद को रचनात्मक आलोचना के लिए खोल रहे हैं, तो आप एक अच्छे राजनेता हैं।

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ) सी. राज कुमार ने ईरानी का स्वागत करते हुए कहा, हमारा सौभाग्य है कि आज इस समापन समारोह के लिए एक बहुत ही प्रतिष्ठित मुख्य अतिथि हमारे बीच हैं: पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और कई अन्य पोर्टफोलियो संभाल चुकीं स्मृति जुबिन ईरानी। मैं ईरानी द्वारा मंत्री के रूप में उनकी विभिन्न भूमिकाओं में की गई 10 प्रमुख पहलों पर संक्षेप में प्रकाश डालना चाहूंगा: राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की स्थापना; सभी के लिए मुफ्त ऑनलाइन शिक्षण मंच स्वयं का शुभारंभ; स्वदेशी शोध को बढ़ावा देने के लिए एक फ्रेमवर्क इंप्रिंट इंडिया का निर्माण; छात्रवृत्ति, परामर्श कार्यक्रमों और एसटीईएम (स्टेम) शिक्षा में महिला भागीदारी बढ़ाने के लक्षित प्रयासों के साथ प्रगति और उड़ान के माध्यम से बालिका शिक्षा को मजबूत करना; अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों और भारतीय संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर जीआईएएन कार्यक्रम का क्रियान्वयन; शुरुआती बाल्यावस्था पोषण को बढ़ावा देना; बाल सुरक्षा कानूनों को मजबूत बनाते हुए पोक्सो एक्ट में संशोधन कर नाबालिगों के साथ यौन अपराधों के लिए मृत्यु दंड के प्रावधान को शामिल करना; कपड़ा क्षेत्र में कौशल विकास के लिए 16 राज्यों में चार लाख से अधिक श्रमिकों को प्रशिक्षण; अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शैक्षिक पहुंच के विस्तार के साथ टेक्निकल टेक्सटाइल्स को बढ़ावा देना; और नया सवेरा जैसे कार्यक्रमों को मजबूत करना जिसके तहत अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग और उच्च शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच के अवसर बढ़ाने और पेशेवर प्रशिक्षण की व्यवस्था शामिल है।

लैंगिक समानता और शिक्षा पर, ईरानी ने कहा: नीति निर्माता के रूप में अपने 10 वर्षों के दौरान, मैंने संसद के दोनों सदनों में लैंगिक और शिक्षा संबंधी विषयों पर विधेयक पारित किए। संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से सभी विधेयकों को पारित किया। यह उस व्यक्ति पर भी निर्भर करता है जो उस समय उस पद पर आसीन है कि वह उस तरह का संबंध और सम्मान बनाए, सभी के लिए पर्याप्त जगह बनाए ताकि वे विश्वास कर सकें कि उनकी बात सुनी जा रही है, और यह विश्वास करें कि वे उस बदलाव का हिस्सा हैं जिसे हम विधायी रूप से लाने की उम्मीद करते हैं। जब कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम का विधेयक पेश किया गया था, तब मैं विपक्ष की सदस्य थी। निर्भया विधेयक पेश किए जाने के समय भी मैं विपक्ष की सदस्य थी और दोनों ही परिस्थितियों में, मैंने राज्यसभा में सभी राजनीतिक संगठनों की ओर से बात की।

एआई और समता पर, उन्होंने एक अध्ययन का हवाला दिया जिसमें एक शोधकर्ता ने दुनिया में 133 एआई मॉडल का अध्ययन किया और पाया कि जनरेटिव एआई ने, जो वर्तमान में इंटरनेट पर उपलब्ध सभी सूचनाओं पर विचार के बाद उसके अनुसार एल्गोरिदम बनाता है, ऐसा कोई पारिस्थितिकी तंत्र नहीं बनाया है जो समता को बढ़ा सके।

पूर्व मंत्री ने उद्योग और पर्यावरण के बीच द्वंद्व, स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए रेप्रिजेंटेटिव रिजर्वेशन के औचित्य और महत्व तथा कई अन्य विषयों और सवालों के बारे में भी बात की, जो छात्रों ने उनसे सीधे पूछे।

राज्यसभा रिसर्च फेलो और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के लेक्चरर प्रोफेसर करण कटारिया ने इंडियन पॉलिसी फोरम के बारे में एक सिंहावलोकन दिया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा संगठन है जो न केवल चर्चा, बहस या विचार-विमर्श के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, बल्कि नीति निर्माण के कारण और तरीके को समझने तथा उजागर करने का भी काम करता है। यह मंच न केवल नीति निर्माताओं की नीतियों पर सवाल उठाता है और उनकी आलोचना करता है, बल्कि भारत की अवधारणा की दिशा में सामंजस्य बनाने, उसे साकार करने और उसमें योगदान देने का भी प्रयास करता है।

इस अवसर पर जिंदल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट के प्रोफेसर और वाइस डीन प्रो. (डॉ) नितेश बंसल सहित जेजीयू के डीन, वाइस डीन और संकाय सदस्य भी उपस्थित थे।

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