पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच, मदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में बड़ा बदलाव किया है. बोर्ड की अध्यक्षता रॉ के पूर्व चीफ आलोक जोशी करेंगे. नियुक्ति भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए अहम मानी जा रही है.
NSAB का नया स्वरूप
बोर्ड में अब सात सदस्य होंगे. इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के सदस्य हैं. बोर्ड में सैन्य पृष्ठभूमि के तीन रिटायर्ड अधिकारी हैं. इसमें विदेश सेवा के एक सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं.
NSAB का महत्व और भूमिका
भारत की नेशनल सिक्योरिटी मैनेजमेंट प्रणाली के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड एक अहम हिस्सा है. ये बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद यानी NSC को दीर्घकालिक विश्लेषण और सजेशन देता है. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान NSAB का पहली बार गठन किया गया था. तब से लेकर अब तक बोर्ड नेशनल सिक्योरिटी पॉलिसीज को शेप दे रही हैं. ये बोर्ड माह में करीब एक बार तो बैठक करता ही है.
अब जानें सदस्यों के बारे में…
- अलोक जोशी- 2012 से 2014 तक RAW चीफ के रूप में काम किया. 1976 बैच के हरियाणा कैडर के IPS अधिकारी हैं. नेपाल और पाकिस्तान में खुफिया ऑपरेशनों का लंबा अनुभव है. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उनकी पोस्टिंग को बड़ा फैसला माना जा रहा है.
- लेफ्टिनेंट जनरल (रि) एके सिंह: पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर रहे हैं. सैन्य रणनीति और संचालन में उनका व्यापक अनुभव है.
- एयर मार्शल (रि) पीएम सिन्हा: पूर्व पश्चिमी वायु कमांडर रहे हैं. वायुसेना के संचालन और रणनीति के एक्सपर्ट हैं.
- रियर एडमिरल (रि) मॉन्टी खन्ना: नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके पास समुद्री सुरक्षा और रणनीति का गहरा अनुभव है.
- राजीव रंजन वर्मा: भारतीय पुलिस सेवा (रि) अधिकारी हैं. आंतरिक सुरक्षा और खुफिया मामलों में वर्मा ने अहम भूमिका निभाई है.
- मनमोहन सिंह: भारतीय पुलिस सेवा के ही सेवानिवृत्त अधिकारी है. सुरक्षा और खुफिया क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं
- बी वेंकटेश वर्मा: भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. वे कूटनीति और इंटरनेशनल रिलेशन के विशेषज्ञ हैं