धर्मांतरण हिंसा है, घर वापसी स्वीकार होनी चाहिएः सरसंघचालक

नागपुर : सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें आदिवासी समाज में हैं और उन्होंने देश की परंपरा को बचाए रखा है। इसलिए आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण का मुद्दा गंभीर है। अगर कोई पूरे मन से पूजा पद्धति बदल रहा है, तो उस पर किसी को आपत्ति होने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन तरह-तरह के लालच दिखाकर और जबरदस्ती दूसरा धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर करना गलत है। सरसंघचालक ने कहा कि धर्मांतरण हिंसा है। अगर इस तरह से धर्मांतरित व्यक्ति घर वापसी कर रहा है, तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 का गुरुवार को नागपुर मे समापन हुआ। स्थानीय रेशमबाग मैदान में आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अरविंद नेताम, प्रांत संघचालक दीपक तमशेट्टीवार, महानगर संघचालक राजेश लोया और वर्ग सरवाधिकारी समीर कुमार महांती मौजूद रहे।

इस अवसर पर सरसंघचालक ने कहा कि आदिवासी हमारे समाज का हिस्सा हैं। धर्मांतरण और अन्य मुद्दों पर हम आदिवासी समुदाय के साथ यथासंभव सहयोग करेंगे। सरकार और प्रशासन मददगार हो सकते हैं, लेकिन संबंधित लोगों को भी इस काम में भाग लेना चाहिए।

सरसंघचालक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सरकार और सेना ने आवश्यक कार्रवाई की। इस घटना ने भारतीय सेना की क्षमता और वीरता को दुनिया के सामने ला दिया। इसने साबित कर दिया कि विभिन्न रक्षा अनुसंधान कितने आवश्यक और उपयोगी हैं। इसने केंद्र सरकार की दृढ़ता को भी दिखाया। महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया ने भारत में राजनीति करने वाले सभी दलों के नेताओं की समझदारी और आपसी सहयोग को भी देखा। पूरे समाज ने हमारी एकता की मिसाल पेश की।

उन्होंने राय व्यक्त की कि अगर ऐसी भावना हमेशा बनी रहे तो इससे एक मजबूत लोकतंत्र की परिकल्पना सामने आएगी। पहलगाम हमले के बाद कार्रवाई करने का मतलब यह नहीं है कि समस्या हल हो गई है। युद्ध के प्रकार बदल गए हैं। आतंकवाद को शह देकर उसी माध्यम से लड़ा जा रहा है। साइबर युद्ध से लेकर छद्म युद्ध तक निरंतर प्रगति हो रही है। अब घर बैठे एक क्लिक से ड्रोन को नियंत्रित करके युद्ध लड़ा जा सकता है। इसलिए हमें अपनी सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए सरसंघचालक ने यह भी अपील की कि सेना, सरकार, प्रशासन के साथ-साथ समाज को भी साथ आना चाहिए।

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