चीन सीमा पर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई अड्डा तैयार, अक्टूबर तक चालू होगा

नई दिल्ली : चीन से लगी सीमा के पास दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई अड्डा लगभग तैयार हो गया है और अक्टूबर तक चालू हो जाएगा। अब वास्तविक नियंत्रण रेखा से 50 किलोमीटर दूर न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करके तैयार किये गए इस हवाई अड्डे से मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई विमान उड़ान भर सकेंगे। न्योमा हवाई अड्डा से भारत चीनी सेना के झिंजियांग सैन्य क्षेत्र और पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में बेस कादरी का मुकाबला करने में सक्षम होगा।

दरअसल, लेह और थोइस के अलावा लद्दाख में लड़ाकू विमानों के लिए एक वैकल्पिक ऑपरेटिंग बेस की जरूरत महसूस की गई, क्योंकि मौसम की स्थिति ने इन दोनों अड्डों की परिचालन क्षमता को प्रभावित किया था। इसके लिए भारतीय वायु सेना ने लद्दाख में स्थित दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), न्योमा और फुकचे का अध्ययन किया, ताकि यह समझा जा सके कि इनमें से किसका इस्तेमाल लड़ाकू अभियानों के लिए किया जा सकता है। फिलहाल 16,600 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई युद्ध क्षेत्र होने के बावजूद बेग ओल्डी (डीबीओ) इसलिए बेहतर नहीं माना गया, क्योंकि यह चीनियों की नजर के भीतर है।

दूसरी तरफ, फुकचे में रनवे का विस्तार करने और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण की क्षमता सीमित थी, इसलिए पलड़ा न्योमा के पक्ष में झुक गया। न्योमा का पक्ष उसके मौसम ने भी मजबूत किया, जो पूरे वर्ष में अधिकतर चालू रहता है। हालांकि, यहां चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के चलते पर्यावरणीय मंजूरी से संबंधित एक समस्या सामने आई, क्योंकि यह किआंग या तिब्बती जंगली गधे और दुर्लभ काली गर्दन वाले क्रेन का घर है। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के लिए विस्तार योजनाओं पर फिर से काम किया, जो कुछ शर्तों के साथ पूरी होने पर न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के अपग्रेड होने का रास्ता साफ हो गया।

भारत ने चीनी बुनियादी ढांचे की विकास गतिविधियों के जवाब के रूप में पूर्वी लद्दाख सीमा के पास 18 सितंबर, 2009 को शिलान्यास किये गए न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करने का फैसला लिया था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर भारत के सबसे ऊंचे एयरबेस न्योमा को तैयार करने की जिम्मेदारी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) को सौंपी। न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का मौजूदा रनवे वास्तव में मिट्टी से बना होने से केवल सी-130जे जैसे विशेष परिवहन विमानों और हेलीकॉप्टरों को उतारा जा सकता था। यहां से लड़ाकू विमानों को संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए कई अहम बदलाव किये गए हैं।

बीआरओ ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लड़ाकू अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे बनाया है, जहां से लड़ाकू विमान मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई उड़ान भर सकेंगे। अब कंक्रीट का नया रनवे बन जाने पर न्योमा से भारी परिवहन विमान भी संचालित हो सकेंगे, जो भारतीय वायु सेना को रणनीतिक रूप से मजबूत करेंगे। यह चीन की नजरों से दूर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र होगा। इसलिए चीन सीमा पर एलएसी के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है। ————————————-

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