फ्रांस, ब्रिटेन के बाद कनाडा भी फिलिस्तीन को मान्यता देगा, इजराइल ने इन कोशिशों को पाखंड बताया

ओटावा : फ्रांस और ब्रिटेन के बाद कनाडा और माल्टा ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने की घोषणा की है।सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनाडा, फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देगा।

पिछले दस दिनों के भीतर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने सितंबर में फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देने की घोषणा की। फिलिस्तीन के मुद्दे पर फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा के साथ आने से जी-7 के तीन महत्वपूर्व देश एकसाथ आ गए हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा है कि कनाडा 23 सितंबर से शुरू हो रही संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश का दर्जा देने संबंधी कदम उठाएगा। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें जोड़ते हुए कार्नी ने कहा कि फिलिस्तीन को साल 2026 में आम चुनाव कराने होंगे, जिसमें हमास को कोई भूमिका नहीं होगी। साल 2006 के बाद से वहां चुनाव नहीं हुए हैं। साथ ही हथियार मुक्त फिलिस्तीन की शर्त जोड़ी गई है।

कार्नी ने इस संबंध में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात कर इन शर्तों का उल्लेख किया। कार्नी के मुताबिक फिलिस्तीन के राष्ट्रपति ने शर्तों को लेकर अपनी सहमति दे दी है।

उधर, माल्टा के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव क्रिस्टोफर कटाजार ने कहा कि उनका देश सितंबर में फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देगा।

खास बात यह है कि ब्रिटेन और कनाडा ने फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए शर्तें रखी हैं। ब्रिटेन का कहना है कि इजराइल अगर हमास के साथ सीजफायर पर सहमत नहीं होता है तो वह सितंबर में फिलिस्तीन को मान्यता देगा। कनाडा ने अगले साल चुनाव कराने और हथियारमुक्त फिलिस्तीन की शर्त रखी है। जबकि फ्रांस ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता देने की मुहिम शुरू करते हुए बिना शर्त समर्थन दिया है।

फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश का दर्जा दिए जाने की इन घोषणाओं का इजराइल कड़ा विरोध करता रहा है। कनाडा की घोषणा के बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई की कोशिशों को बाधित करेगा। इजराइल ने इसे पाखंड और समय की बर्बादी करार दिया है।

फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में 147 देशों का समर्थन है लेकिन संयुक्त राष्ट्र से उसे अभीतक अलग देश की मान्यता नहीं मिली है। फिलिस्तीन 70 के दशक से ही संयुक्त राष्ट्र में स्वतंत्र देश की मान्यता के लिए प्रयासरत है।

गाजा में इजराइल और हमास के बीच करीब दो साल से जारी संघर्ष में अब तक 60 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। वहां खाद्यान्न संकट के साथ शरणार्थी शिविरों पर हमले से गहरा मानवीय संकट पैदा हो गया है। इसे लेकर इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है।

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