धनबाद, आदिवासी का दर्जा हासिल करने और कुड़मी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी समाज का शनिवार से अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका-डहर छेका’ आंदोलन शुरू हो गया है। इसके तहत झारखंड के विभिन्न रेल स्टेशनों और रेलवे ट्रैकों पर आंदोलनकारी उतर आए हैं। प्रदर्शन कर रहे कुड़मी समाज के लोग अपने नेताओं के नेतृत्व में रेल की पटरी पर बैठकर प्रदर्शन करते भी नजर आ रहे है। इसी दौरान धनबाद के दिल्ली- कोलकाता मुख्य रेल मार्ग के प्रधान खनता रेलवे स्टेशन पर सैकड़ो की संख्या में आन्दोलकारी रेलवे ट्रैक पर ढोल मंजीरा बजा नृत्य करते नजर आए।
धनबाद रेलवे स्टेशन से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रधान खनता रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज के सैकड़ो आंदोलनकारियों ने घंटो रेल ट्रैक को जाम रखा। हाथों में पोस्टर-बैनर और झंडा लेकर पहुंचे कुड़मी समाज के लोगों ने पहले रेलवे ट्रैक पर समाज का झंडा गाड़ा और फिर पटरी पर बैठकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान न सिर्फ आंदोलनकारियों ने कुड़मी समाज की एकता का नारा लगाया, बल्कि ढोल, नगाड़ो और मंजीरे की आवाज पर रेलवे की पटरी पर जमकर डांस भी किया।
इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया, लेकिन आंदोलनकारी पटरी पर उतरकर रेल रोकने में सफल रहे।
वहीं, कुड़मी समाज के इस आंदोलन के कारण आम यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई ट्रेनें घंटों तक अलग-अलग स्टेशनों पर रुकी रहीं और यात्री स्टेशन एवं ट्रेनों में फंसे रहे।
उल्लेखनीय है कि कुड़मी
समाज के इस आंदोलन का असर झारखंड, बंगाल और ओडिशा पर पड़ने की आशंका को देखते हुए विशेष चौकसी बरती जा रही है। वहीं इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर झारखंड की राजधानी रांची के अलावा जमशेदपुर, रामगढ़, गिरिडीह और धनबाद में पड़ने की आशंका को देखते हुए रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने की बात कही थी। इसके साथ ही इन मुख्य-मुख्य स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने और धारा 163 यानी निषेधाज्ञा लागू कर दिया गया है।
बावजूद इसके आंदोलनकारी रेल पटरियों पर बैठकर आंदोलन को सफल बनाने का प्रयास करते दिखे। दरअसल आंदोलनकारियों ने प्रमुख स्टेशनों को निशाना न बना कर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे- छोटे रेलवे स्टेशनों और रेल पटरियों को निशाना बनाया।