सीमा पर बारूदी ज्वार: भारत-पाक के लिए आखिर क्यों इतना महत्वपूर्ण है सर क्रीक?

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात की धरती से पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह सर क्रीक के पास के क्षेत्रों में मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास न करे. रक्षा मंत्री विजयादशमी के अवसर पर भारतीय सेना के एक अड्डे में आयोजित शस्त्र पूजा में शामिल होने कच्छ गए थे. इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि अगर पड़ोसी मुल्क सर क्रीक में अपनी गुस्ताखियों से बाज न आया, तो भारत का जवाब इतना जबर्दस्त होगा कि पाकिस्तान का इतिहास और भूगोल, दोनों ही बदल जाएंगे. आइए जानते हैं कि सर क्रीक है क्या, जिसको लेकर रक्षा मंत्री को ऐसा कड़ा बयान देना पड़ा.

दुर्गम भौगोलिक स्थिति के बावजूद क्यों महत्वपूर्ण है सर क्रीक
सर क्रीक, भारत और पाकिस्तान के बीच 96 किलोमीटर लंबी Tidal Estuary जलधारा है, जो दोनों देशों के बीच अनेक वर्षों से विवाद का मुद्दा बनी हुई है. गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के सिंध के बीच स्थित है यह जलधारा. अत्यंत जटिल भौगोलिक परिस्थिति होने के बावजूद इस क्षेत्र का सामरिक और आर्थिक महत्व है. दरअसल यह जलधारा अरब सागर के उन हिस्सों से जुड़ी है, जो मछली पकड़ने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. साथ ही, जिस देश के पास सर क्रीक का आधिकारिक नियंत्रण होगा, समुद्री सीमा में उसका अधिकार एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन तक हो जाएगा और उस क्षेत्र में मौजूद तेल औऱ गैस भंडारों पर भी उसका ही अधिकार माना जाएगा.

वर्ष 1914 की संधि के आधार पर सर क्रीक पर भारत का अधिकार
भारत सर क्रीक पर अपना अधिकार वर्ष 1914 में सिंध सरकार और कच्छ के राजा के बीच हुई संधि के आधार पर जताता रहा है. उस समझौते के अनुसार सीमा सर क्रीक जलधारा के पूर्वी तटबंध को माना जाता है. इसके विपरीत पाकिस्तान थलवेग डॉक्ट्रिन का हवाला देता है, जिसके अनुसार भारत और पाकिस्तान की सीमा जलधारा के ठीक बीच में होनी चाहिए. दोनों पक्षों के पास अपने-अपने तर्क हैं औऱ उसी के आधार पर दोनों ही देश सर क्रीक पर अपना दावा पेश करते रहे हैं. पाकिस्तान की हठधर्मिता की वजह यह है कि अगर सीमा को जलधारा के बीच से माना जाएगा, तो उससे जुड़ी समुद्री सीमा के बड़े हिस्से पर स्थित एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन पर उसका अधिकार हो जाएगा. इससे पाक मछुआरों को फायदा होगा, और उस हिस्से में स्थित पेट्रोलियम व गैस भंडारों पर भी उसका अधिकार होगा.

भारत किसी भी सूरत में पाकिस्तान की साजिश को कामयाब होने नहीं देगा. यही वजह है कि रक्षामंत्री ने दशहरा के दिन कच्छ की भूमि से पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि कराची जाने का एक मार्ग सर क्रीक जलधारा से होकर गुजरता है. स्पष्ट है कि सर क्रीक में पाकिस्तान की अवैध गतिविधि को भारत सहन नहीं करेगा और अगर भारत ने एक्शन लिया, तो कराची बंदरगाह के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा.

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