Ayodhya, Mar 21 (ANI): Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath addresses the gathering during an event for the distribution of loans worth Rs 47 crore to 1,148 entrepreneurs of Ayodhya division under the 'Chief Minister Yuva Udyami Vikas Abhiyan', in Ayodhya on Friday. (ANI Photo)

1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाब से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट दी जाए: मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि जल संकट आज हमारी सामूहिक चिंता का विषय बन चुका है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप वर्षा जल को रोककर धीरे-धीरे उसे भूमि में समाहित होने देते हैं। यह केवल स्थानीय प्राथमिकता नहीं है बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता है। चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप केवल पानी रोकने की व्यवस्था नहीं बल्कि समेकित जल प्रबन्धन है, जो बड़े बांधों की तुलना में यह काफी किफायती है।

 

उन्होंने निर्देशित किया कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ की तर्ज पर जनांदोलन बनाते हुए चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराएं।

 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि बरसात से पहले यानी 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाब से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट दी जाए, ताकि तालाब रिचार्ज के लिए तैयार हो सकें। बरसात के बाद इन्हें मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन के लिए उपयोग में लाकर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं।

 

रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे। सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में यह घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं, जो संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और तेजी लाकर आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास होना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि जैसे “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान ने वृक्षारोपण को जनांदोलन का रूप दिया है, वैसे ही चेकडैम और तालाब निर्माण भी सामूहिक प्रयासों से बड़े स्तर पर संचालित किया जाए। यह न केवल जल संकट से निपटने में सहायक होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति देगा।

 

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों की फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन कराएं। साथ ही जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अभियान चलाया जाए।

 

उन्होंने स्पष्ट किया कि जल संरक्षण और भूजल रिचार्जिंग को लेकर प्रदेश सरकार का संकल्प अटल है और इसे समाज की भागीदारी से एक सफल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

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