अखिलेश का शासनकाल दलितों के अपमान, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का प्रतीकः डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल

लखनऊ, 11 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सपा शासनकाल (2012–2017) दलितों के अपमान, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि जिस समय पूरे देश में मान्यवर कांशीराम जी के नाम से बने संस्थानों को सम्मान दिया जा रहा था, उसी समय अखिलेश यादव ने उनके नाम को मिटाने का काम किया। डॉ. निर्मल ने कहा कि लखनऊ का उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, जो मान्यवर कांशीराम जी के नाम से था, उससे नाम हटाया गया। यही नहीं, कांशीराम जी के नाम से चलने वाली सभी सरकारी योजनाओं के नाम भी बदल दिए गए। यह कृत्य दलितों के सम्मान पर गहरी चोट थी। उन्होंने कहा कि बहन मायावती जी की रैली ने समाजवादी पार्टी के असली चरित्र का पर्दाफाश कर दिया है जो दलित विरोधी और महापुरुषों के प्रति अपमानजनक रवैया रखने वाली पार्टी है।

अखिलेश के राज में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का प्रतीक बना जेपीएनआईसी
सपा सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के प्रतीक बने जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस परियोजना की शुरुआत ₹200 करोड़ की लागत से हुई थी, लेकिन 2017 तक इसकी लागत बढ़कर ₹867 करोड़ हो गई और फिर भी परियोजना अधूरी रही। ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से यह केंद्र “कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा” बन गया। उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने आते ही जेपीएनआईसी समिति को भंग कर यह परियोजना एलडीए के सुपुर्द की, ताकि इसे पारदर्शी तरीके से पूरा किया जा सके। सरकार ने ₹882.74 करोड़ की धनराशि ऋण के रूप में स्थानांतरित कर दी है, जिसे 30 वर्षों में लौटाया जाएगा। अब इस परियोजना के अंतर्गत आधुनिक ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपज कोर्ट और मल्टीलेवल पार्किंग (750 वाहनों की क्षमता) का निर्माण कराया जा रहा है। इसे अब इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर लर्निंग सेंटर के रूप में जनता के लिए खोला जाएगा, न कि अखिलेश यादव के शासनकाल में लूट के केंद्र के रूप में।

अखिलेश ने दलितों का किया उत्पीड़न
डॉ. निर्मल ने कहा कि अखिलेश यादव जिस कांग्रेस के साथ आज गलबहियां कर रहे हैं, उसी कांग्रेस ने देश में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया था। यह वही कांग्रेस है जिसने बाबा साहब को भारत रत्न देने में देरी की, उनके नाम पर कोई प्रतिमा नहीं लगवाई और प्रमोशन में आरक्षण के बिल को संसद में फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब अखिलेश यादव संविधान की किताब लेकर घूम रहे हैं ताकि अपने पापों को छुपा सकें, लेकिन जनता सब जान चुकी है। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी ने न सिर्फ दलितों के आरक्षण का विरोध किया, बल्कि लाखों दलित कर्मचारियों का रिवर्जन कर दिया, उनकी जमीनों पर अवैध कब्जे कराए और उत्पीड़न किया। 2012 से 2017 के बीच डॉ. आंबेडकर स्मारक में रातभर अंधेरा रहता था, लाइटें बंद थीं, पत्थर टूटे पड़े थे, पीतल की पट्टिकाएं उखाड़ी गई थीं। सपा ने स्मारकों को नष्ट करने का काम किया। इसके विपरीत, योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ी ईमानदारी से बाबा साहब आंबेडकर की धरोहरों का संरक्षण और सौंदर्यीकरण किया। उन्होंने कहा कि डॉ.बाबा साहब आंबेडकर हमारी आस्था के केंद्र हैं। भारतीय जनता पार्टी ने न केवल उनके विचारों को सहेजा, बल्कि उनके सभी पांच तीर्थ स्थलों का विकास किया, दलितों को आर्थिक सशक्तिकरण दिया, संसद और विधान परिषद में प्रतिनिधित्व बढ़ाया। यही सच्चा सामाजिक न्याय है।”

दलित समाज को भ्रमित नहीं कर पाएंगे सपा और कांग्रेस
डॉ. निर्मल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है जहां परिवारवाद की कोई जगह नहीं, अध्यक्ष और नेताओं का चयन लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होता है। जबकि कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी पार्टियां परिवारवाद को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा कि जो कहते हैं कि बसपा को योगी आदित्यनाथ की जरूरत है, उन्हें यह समझना चाहिए कि योगी जी ने जिस ईमानदारी और पारदर्शिता से बाबा साहब के स्मारकों को सम्मान दिया है वह किसी अन्य सरकार ने कभी नहीं किया। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश का दलित समाज जाग चुका है। उत्तर प्रदेश की जनता जान चुकी है कि कौन दलितों के अधिकारों की रक्षा करता है और कौन उन्हें भ्रमित करता है। 2027 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का वही हश्र होगा जो कांग्रेस का हुआ, जनता उसे पूरी तरह खारिज कर देगी।

 

 

 

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