भारत के वस्त्र निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, मॉस्को में लगा ‘बेस्ट ऑफ इंडिया’ मेला

(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी) मॉस्को। विदेश एवं कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने मॉस्को में ‘बेस्ट ऑफ इंडिया- भारतीय परिधान एवं वस्त्र मेला’ का उद्घाटन किया, जिसमें भारत के हथकरघा एवं वस्त्र क्षेत्र की ताकत और रचनात्मकता पर प्रकाश डाला गया। हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद (एचईपीसी) द्वारा 1 से 3 अक्टूबर तक आयोजित इस मेले का उद्देश्य रूस को भारत के वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देना, द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करना और सीआईएस बाजारों के लिए नए द्वार खोलना है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने विचार साझा करते हुए, राज्य मंत्री मार्गेरिटा ने लिखा मॉस्को में बेस्ट ऑफ इंडिया – भारतीय परिधान एवं वस्त्र मेले का उद्घाटन करते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है, जो भारत के हथकरघा एवं वस्त्र क्षेत्र की ताकत को प्रदर्शित करता है। यह मेला रूस को भारत के निर्यात को बढ़ावा देगा, सहयोग को गहरा करेगा और सीआईएस बाजारों के लिए नए द्वार खोलेगा।
राज्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह आयोजन पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह के भारत के कपड़ा क्षेत्र का विस्तार करने, इसकी वैश्विक उपस्थिति को मज़बूत करने और दुनिया भर में भारतीय शिल्प कौशल की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है। अपनी यात्रा के दौरान मार्गेरिटा ने 2 अक्टूबर को रूस में प्रवासी भारतीयों से भी मुलाकात की। भारत-रूस संबंधों को मज़बूत करने में उनके योगदान को “अमूल्य” बताते हुए, उन्होंने उन्हें पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया।
इसके अलावा राज्य मंत्री, महात्मा गांधी की 156वीं जयंती मनाने के लिए मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास स्कूल (केंद्रीय विद्यालय) में छात्रों और समुदाय के सदस्यों के साथ शामिल हुए। सभा को संबोधित करते हुए, मंत्री मार्गेरिटा ने सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के गांधीवादी सिद्धांतों की स्थायी प्रासंगिकता के बारे में बात की। मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने एक्स पर लिखा राज्य मंत्री ने 21वीं सदी में गांधीवादी सिद्धांतों के महत्व पर छात्रों और प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। उन्होंने स्वच्छ भारत, आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत जैसी सरकारी पहलों पर भी ज़ोर दिया, जो सभी गांधीवादी आदर्शों पर आधारित हैं।
इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों के साथ ही रूसी गणमान्य व्यक्तियों, गांधीवादी विद्वानों, स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों और दूतावास के अधिकारियों ने भाग लिया, जिसने भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी जुड़ाव को और भी स्पष्ट किया।

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