सनातन धर्म में दिवाली से ठीक पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सुख-समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है. धनतेरस के अवसर पर सोना, चांदी खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.
इसके अलावा ये भी मान्यता है कि ये खास दिन शत्रुओं और अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने का भी दिन होता है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ खास उपाय करने से अकाल मृत्यु का नाश हो जाता है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि इस दिन क्या उपाय करें.
कब मनाया जाएगा धनतेरस (Dhanteras 2025)
इस साल धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन खरीदारी के साथ ही यम का दीपक जलाया जाता है. इसे यमराज की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यम का दीपक जलाने से भय और अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके शक्तिशाली उपाय के बारे में.
धनतेरस के दिन होती है यमराज की पूजा
शास्त्रों के अनुसार, एकमात्र धनतेरस के ही दिन मृत्यु के देवता यम देव की पूजा दीप दान करके की जाती है. स्कंद पुराण में भी इसका जिक्र किया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के प्रदोष काल में घर के बाहर यमराज के निमित्त दीप करने से अकाल मृत्यु का खतरा दूर होता है. हालांकि, छोटी दीपावली के दिन भी दीपदान किया जाता है.
धनतेरस पर करें ये खास उपाय (Dhanteras ke Upay)
शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के दिन गोबर का दीया बनाकर उसमें सरसों तेल डाल लें. इसके बाद उसे घर में ही जलाकर बाहर कहीं दूर किसी कूड़े के ढेर या नाली के पास दक्षिण (South Direction) की दिशा में मुख करके रख दें. इसके बाद जल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि ये उपाय सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए.
जब परिवार के सभी सदस्य घर आ जाएं तब इसे करना बेहतर होता है. ऐसा करने से परिवारजनों के ऊपर से अल्प मृत्यु का खतरा दूर होता है तथा प्रेत बाधा का भी नाश होता है. यह भी माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से शत्रुओं से भी मुक्ती मिलती है.
धनतेरस कथा सुनना
- मान्यता है कि धनतेरस के दिम यमराज और राजा हेमा के पुत्र की कथा सुनने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है.
- शाम की पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर इस यम कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए.
- ऐसा माना जाता है कि जो लोग धनतेरस पर दीपदान करते हैं और कहानी सुनते हैं उन्हें यमराज के प्रकोप और अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है.