ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भारत से मिले आघात को पाकिस्तान लंबे समय तक नहीं भूल पाएगा : राजनाथ

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) की पुस्तक के विमोचन समारोह में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के अद्वितीय समन्वय और एकीकरण को सराहा। उन्होंने कहा कि इसी एकजुटता के चलते भारत ने पाकिस्तान को चारों खाने चित्त कर दिया। यह ऐसा आघात था, जिसे पाकिस्तान लंबे समय तक नहीं भूल पाएगा।

 

रक्षा मंत्री ने पुस्तक ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन एज़ अ मेट्रिक ऑफ़ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रिहेंसिव सिक्योरिटी’ की एक प्रमुख बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि सिविल-मिलिट्री फ्यूजन को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए। यह फ्यूजन तभी संभव है, जब हम अपने सिविल उद्योग, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और रक्षा क्षेत्र को एक साझा राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए जोड़ें। इससे हमारी आर्थिक उत्पादकता और रणनीतिक बढ़त बढ़ती है।

 

राजनाथ सिंह ने मुख्य चुनौतियों की पहचान करने और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों को ध्यान में रखते हुए सैन्य क्षेत्र में नागरिक तकनीकी क्षमताओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नागरिक और सैन्य क्षेत्र धीरे-धीरे विलीन हो रहे हैं। प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा अब पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई हैं। ऐसी परिस्थितियों में नागरिक-सैन्य संलयन एक आधुनिक चलन नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता बन गया है।

 

रक्षा मंत्री ने कहा कि इसे अनदेखा करना रणनीतिक विकास के लिए अच्छा नहीं है। हमारी कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अक्सर नागरिक उपयोग तक ही सीमित रह जाती हैं। दोहरे उपयोग की अवधारणा के तहत यदि इन्हें सैन्य अनुप्रयोगों में लाया जाए, तो हमारी राष्ट्रीय शक्ति कई गुना बढ़ सकती है। आज दुनिया एक गहरे परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। जिस गति से वैश्विक व्यवस्था बदल रही है, उसी तेजी से युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं। अब युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं लड़े जाते, वे हाइब्रिड स्वरूप ले चुके हैं।

 

उन्होंने कहा कि हमारे निरंतर प्रयासों के कारण भारत का रक्षा क्षेत्र अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू रहा है। एक दशक पहले घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 46 हजार करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर रिकॉर्ड 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें से लगभग 33 हजार करोड़ रुपये का योगदान निजी क्षेत्र ने दिया है। आज दुनिया ‘डिविजन ऑफ लेबर’ से आगे बढ़कर ‘इंटीग्रेशन ऑफ पर्पस’ की ओर बढ़ रही है। अब हमें भी अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाते हुए एक ‘शेयर्ड विज़न’ और ‘कॉमन पर्पस’ के साथ काम करना चाहिए।

 

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, यूनाइटेड सर्विस इंस्टीटूशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक मेजर जनरल बीके शर्मा (सेवानिवृत्त), वरिष्ठ सिविल एवं सैन्य अधिकारी तथा पूर्व सैनिक उपस्थित थे।—

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