विकसित भारत 2047 के निर्माण में सिविल सेवकों की भूमिका अहम: उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि सिविल सेवकों की भूमिका विक्सित भारत 2047 के लक्ष्य को पूरा करने में निर्णायक होगी। कानून का पालन, पारदर्शिता और टीम वर्क ही सुशासन की बुनियाद हैं।

 

आंध्र प्रदेश के पलासमुद्रम स्थित राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नार्कोटिक्स अकादमी (एनएसीआईएन) में सिविल सेवा प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनएसीआईएन के नए परिसर का उद्घाटन किया था और आज यह संस्थान सीमा शुल्क और जीएसटी प्रशासन में क्षमता निर्माण का अग्रणी केंद्र बन चुका है। यह वर्ष इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है, जिन्होंने अखिल भारतीय सेवाओं की मजबूत नींव रखी।

 

उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने हमेशा योग्यता, सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता को सर्वोच्च रखा है। भारत की विकास यात्रा समावेशी विकास पर आधारित है और धन सृजन व धन वितरण दोनों समान रूप से आवश्यक हैं।

 

उन्होंने कहा कि टैक्स चोरी पर सख्त कार्रवाई जरूरी है, क्योंकि कानून समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए बनाए जाते हैं। अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी है कि वे कानून का प्रभावी और निष्पक्ष पालन सुनिश्चित करें।

 

उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से टीम उत्कृष्टता को प्राथमिकता देने की अपील की और कहा कि संस्थाएं और देश व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक प्रयास से बनते हैं। उन्होंने तेजी से बदलती तकनीक का उल्लेख करते हुए अधिकारियों से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा संसाधन और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने आईजीओटी कर्मयोगी को उत्कृष्ट क्षमता निर्माण मंच बताया।

 

कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश सरकार के मंत्री नारा लोकेश, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे, एनएसीआईएन के महानिदेशक डॉ सुब्रमण्यम सहित कई लोग मौजूद रहे।

 

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