केवल हलाल मीट परोसे जाने के मामले में रेलवे को एनएचआरसी का नोटिस, दो सप्ताह में जवाब मांगा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को भारतीय रेल में केवल हलाल मीट परोसे जाने की शिकायत पर संज्ञान लिया है। आयोग ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

 

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि हलाल प्रथा हिंदू अनुसूचित जाति

 

समुदायों के लोगों को बाहर करती है, जो पारंपरिक रूप से मांस के व्यापार में काम करते हैं और इसलिए उनके आजीविका

 

अधिकारों और समान अवसरों को नुकसान पहुंचाती है। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू और सिख

 

यात्रियों को उनके धार्मिक विश्वासों से मेल खाने वाले भोजन के विकल्प नहीं मिलते हैं, जिससे उनकी पसंद की स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकार प्रभावित होते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी), 21 और 25 के तहत समानता, गैर-भेदभाव, पेशे की स्वतंत्रता, सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है। शिकायतकर्ता ने इस मामले में आयोग से हस्तक्षेप की मांग करते हुए तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया।

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने शिकायत पत्र में लगाए गए आरोपों को प्रथम दृष्टया लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि केवल हलाल मांस खाने की प्रथा हिंदू अनुसूचित जाति समुदायों, अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों और रेलवे की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित करती है। एक सरकारी एजेंसी के रूप में रेलवे को भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के अनुसार, सभी धार्मिक आस्थाओं के लोगों के भोजन चुनने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।

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