राबड़ी के हस्तक्षेप का असर हुआ कि शुक्रवार की सुबह से ही दोनों के तेवर में नरमी आ गई

 पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लडऩे के मसले पर राजद और परिवार में तकरार के हालात को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हस्तक्षेप करना पड़ा। शुक्रवार की सुबह उन्होंने तेजप्रताप एवं भाई वीरेंद्र को फोन करके डांटा कि वह लोग ऐसी बयानबाजी क्यों कर रहे? दोनों से साफ कह दिया गया कि चुनाव से पूर्व इस तरह के झंझट से पार्टी पर असर पड़ेगा।

बाद में भाई वीरेंद्र ने राबड़ी के आवास में जाकर भी अपना पक्ष रखा। राबड़ी के हस्तक्षेप का असर हुआ कि शुक्रवार की सुबह से ही दोनों के तेवर में नरमी आ गई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो पहले ही इस मामले पर अपना दो टूक फैसला दे दिया था कि प्रत्याशी चयन का अधिकार लालू के अलावा किसी और के पास नहीं है। 

एक दिन पहले अपनी ही पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता भाई वीरेंद्र को औकात में रहने की नसीहत देने वाले तेज प्रताप ने राजद कार्यालय में जनता दरबार लगाया और मीडिया के सवालों के जवाब में विवादित बयान से परहेज किया।

तेजस्वी की लाइन पर ही तेज प्रताप ने कहा कि मैंने तो पहले ही कह दिया था कि प्रत्याशी का चयन आलाकमान के स्तर से ही होगा। हालांकि उन्होंने बदले लहजे में इतना जरूर कहा कि दीदी मीसा भारती की पैरवी मैंने महिला के नाते की थी। वह लगातार अपने क्षेत्र में काम और प्रचार कर रही हैं। इसलिए उनकी दावेदारी बनती है। 

राबड़ी के सरकारी आवास से निकलने के बाद भाई वीरेंद्र ने भी कहा कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है। सबकुछ ठीक है। उन्होंने लालू को अपना गॉड फादर बताया और कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष जो चाहेंगे वही होगा। भाई वीरेंद्र ने खुद को पार्टी का वफादार सिपाही बताया। 

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