रामनवमी के दौरान भड़की हिंसा पर NHRC ने ममता सरकार पर उठाए सवाल

रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के रानीगंज और आसनसोल में भड़की हिंसा पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य की ममता सरकार पर सवाल उठाए हैं. आयोग की ओर से कहा गया है कि हालात से निपटने में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां नाकाम रहीं. साथ ही पुलिस हिंसा पीड़ितों की सुरक्षा करने की बजाय खुद को सुरक्षित रखने में लगी रही.रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के रानीगंज और आसनसोल में भड़की हिंसा पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य की ममता सरकार पर सवाल उठाए हैं. आयोग की ओर से कहा गया है कि हालात से निपटने में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां नाकाम रहीं. साथ ही पुलिस हिंसा पीड़ितों की सुरक्षा करने की बजाय खुद को सुरक्षित रखने में लगी रही.  मानव अधिकार आयोग ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि 28 मार्च रात आसनसोल में भड़की हिंसा प्रशासनिक विपलता का साफ उदाहरण हैं. पुलिस ने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए इसी वजह से स्थानीय लोगों को खुद भागकर अपनी जान बचानी पड़ी. कई परिवार तो ऐसे हैं जो अभी तक वापस अपने घर नहीं लौटे, यहां तक कि पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत भी नहीं दर्ज की.  आयोग की टीम के दौरे से पहले रानीगंज में 3 और आसनसोल में 11 FIR दर्ज की गई थीं लेकिन वहां जाने पर पीड़ितों ने कहा कि वह शिकायत दर्ज कराने तो गए थे लेकिन पुलिस ने अबतक उनका बयान तक नहीं दर्ज किया है. साथ ही  रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य पुलिस ने हिंसा के दौरान दर्ज 14 मामलों में सिर्फ एक मामले में ठीक ढंग से सबूत जुटा पाई है. इसके अलावा पुलिस के बैकअप प्लान पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. घटना के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा तक नहीं किया.    आयोग ने मांगी रिपोर्ट  आयोग ने अब राज्य के चीफ सेक्रेटरी और ममता सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही इस मामले में दर्ज सभी FIRs का ब्यौरा और हर शिकायत की अलग से FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा एक टीम का गठन कर पीड़ितों को होने वाले नुकसान का ब्यौरा जमा करने के लिए भी कहा गया है.  केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी लगातार हिंसा को लेकर ममता सरकार पर सवाल उठाती रही है. पार्टी का दावा है कि ममता सरकार का पुलिसिया तंत्र पूरी तरह विफल रहा है और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के इशारों पर काम कर रहा है. अब इस रिपोर्ट के जरिए बीजेपी को टीएमसी सरकार पर घेरने का एक और मौका मिल गया है. राज्य में चुनावों से पहले बीजेपी लगातार अपनी पकड़ बढ़ा रही है.  बता दें कि रामनवमी के मौके पर जुलूस को लेकर बर्धमान जिले के रानीगंज इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. हालात आगजनी और फायरिंग तक पहुंच गए थे. पुलिस ने हिंसा के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था. पूरे सूबे में बीजेपी और उससे जुड़े हिंदुवादी संगठनों ने रामनवमी के मौके पर तलवार और दूसरे हथियारों के साथ जुलूस निकाला था.

मानव अधिकार आयोग ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि 28 मार्च रात आसनसोल में भड़की हिंसा प्रशासनिक विपलता का साफ उदाहरण हैं. पुलिस ने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए इसी वजह से स्थानीय लोगों को खुद भागकर अपनी जान बचानी पड़ी. कई परिवार तो ऐसे हैं जो अभी तक वापस अपने घर नहीं लौटे, यहां तक कि पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत भी नहीं दर्ज की.

आयोग की टीम के दौरे से पहले रानीगंज में 3 और आसनसोल में 11 FIR दर्ज की गई थीं लेकिन वहां जाने पर पीड़ितों ने कहा कि वह शिकायत दर्ज कराने तो गए थे लेकिन पुलिस ने अबतक उनका बयान तक नहीं दर्ज किया है. साथ ही

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य पुलिस ने हिंसा के दौरान दर्ज 14 मामलों में सिर्फ एक मामले में ठीक ढंग से सबूत जुटा पाई है. इसके अलावा पुलिस के बैकअप प्लान पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. घटना के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा तक नहीं किया.  

आयोग ने मांगी रिपोर्ट

आयोग ने अब राज्य के चीफ सेक्रेटरी और ममता सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही इस मामले में दर्ज सभी FIRs का ब्यौरा और हर शिकायत की अलग से FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा एक टीम का गठन कर पीड़ितों को होने वाले नुकसान का ब्यौरा जमा करने के लिए भी कहा गया है.

केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी लगातार हिंसा को लेकर ममता सरकार पर सवाल उठाती रही है. पार्टी का दावा है कि ममता सरकार का पुलिसिया तंत्र पूरी तरह विफल रहा है और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के इशारों पर काम कर रहा है. अब इस रिपोर्ट के जरिए बीजेपी को टीएमसी सरकार पर घेरने का एक और मौका मिल गया है. राज्य में चुनावों से पहले बीजेपी लगातार अपनी पकड़ बढ़ा रही है.

बता दें कि रामनवमी के मौके पर जुलूस को लेकर बर्धमान जिले के रानीगंज इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. हालात आगजनी और फायरिंग तक पहुंच गए थे. पुलिस ने हिंसा के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था. पूरे सूबे में बीजेपी और उससे जुड़े हिंदुवादी संगठनों ने रामनवमी के मौके पर तलवार और दूसरे हथियारों के साथ जुलूस निकाला था.

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