
शोध में कहा गया है कि सोशल मीडिया से लड़कियां डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं। आमतौर पर देखा भी जाता है कि युवा तनाव में अधिक ग्रस्त रहते हैं। पहले के समय में जब सोशल मीडिया नहीं था तब डिप्रेशन के मरीजों की संख्या उतनी नहीं थी जितनी अब है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) की यवोन्ने केली की अगुवाई में शोधकर्ताओं को पता चला कि सोशल मीडिया पर पांच घंटे से अधिक समय बिताना बेहद खतरनाक हो सकता है। सोशल मीडिया पर पांच घंटे से अधिक समय बिताने वाली करीब 40 फीसदी लड़कियों में अवसाद के लक्षण दिखे हैं। इस शोध में करीब 11 हजार लोगों को शामिल किया गया था।
लड़कों में कम है खतरा
सोशल मीडिया पर समय बिताने वाले युवाओं में लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या कम है। यह दर लड़कों में 15 फीसदी से भी कम है। रॉयल कॉलेज ऑफ सायकायट्रिस्ट्स के पूर्व अध्यक्ष साइमन वेस्ली का कहना है कि इस अंतर के पीछे की वजह पता लगा पाना मुश्किल है। ये शोध ‘ईक्लिनिकलमेडिसीन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
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