तालिबान ने अफगानिस्तान के लिए एक नए संविधान की मांग की है और उसने युद्धग्रस्त देश पर शासन करने के लिए एक ‘समावेशी इस्लामी व्यवस्था’ का वादा किया है. रूस में मंगलवार को वरिष्ठ अफगान अधिकारियों के साथ हुई एक दुर्लभ बैठक में तालिबान ने यह मांग की. इसमें अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ नेताओं ने भी हिस्सा लिया. हालांकि, इस बैठक में काबुल सरकार के अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया. 
तालिबान के सदस्यों ने मॉस्को में अफगानिस्तान के कुछ प्रभावी नेताओं के सामने अपना घोषणापत्र रखा. पिछले 17 साल से अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी वार्ताकारों के साथ हफ्ते भर पहले दोहा में हुई तालिबान की बैठक के बाद मॉस्को में यह बैठक हुई. हालांकि, दोहा और मॉस्को की वार्ता अलग-अलग हैं, लेकिन इन दोनों ही बैठकों में काबुल सरकार को अलग-थलग रखा गया.
तालिबान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे शेर मोहम्मद अब्बास स्तानीकजई ने कहा, ‘‘ काबुल सरकार का संविधान अवैध है. यह पश्चिमी देशों से लाया गया है और यह शांति में बाधक है. यह विवादित है. हम इस्लामी संविधान चाहते हैं.’
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