

लखनऊ। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी पुलवामा की घटना के बाद देश की बदली परिस्थितियों के मद्देनजर अपनी पूर्व घोषित अयोध्या यात्रा और शिलान्यास का कार्यक्रम” स्थगित कर दिया। श्रीविद्यामठ से यात्रा के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ये जानकारी दी। रविवार को सवेरे जब उनके प्रमुख शिष्य और सहयोगियों ने स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज, ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद, डॉक्टर श्रीप्रकाश मिश्र आदि के साथ उन्हें टेलीविजन में पुलवामा घटना और उसके बाद देश की परिस्थितियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया।तब वे शांत हो गए और वाराणसी के जिलाधिकारी से कहा कि हम देश के साथ हैं।
इससे पूर्व अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने पत्र लिखकर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टेलीफोन से उनसे अयोध्या यात्रा टालने का अनुरोध किया था।शंकराचार्य ने कहा है कि यद्यपि श्रीरामजन्मभूमि के संदर्भ में हमने जो निर्णय लिया है वह सामयिक और आवश्यक भी है। इस समय देश में उतपन्न हुई आकस्मिक परिस्थिति के कारण हम यात्रा को कुछ समय के लिए स्थगित करने का निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि रामाग्रह और शिलान्यास कार्यक्रम इसलिए आवश्यक है कि वर्तमान केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि अधिग्रहित भूमि में से विवादित भूमि उनके मूल मालिकों को वापस की जाए जिसमें मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हो सके। उच्चतम न्यायालय ने भी केंद्र सरकार की इस अर्जी को मूल वाद से जोड़ दिया है।
इस कदम से उस भूमि के सदा सदा के लिए हिंदुओं के हाथ से निकल जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है जहां रामलला विराजमान हैं और जिनके लिए शताब्दियों से हिंदुओं ने संघर्ष किया है, जिसे न्यायालय ने भी श्रीरामजन्मस्थान माना है। विश्व हिन्दू परिषद प्रवक्ता शरद शर्मा ने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा अयोध्या कूच और शिलान्यास ना करने की घोषणा का विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत करते हुए कहा इसका कोई औचित्य था ही नहीं। देर से ही सही पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने सही निर्णय लिया।
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