लखनऊ : बाल साहित्य में खासा दखल रखने वाले देश के सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार और कवि शंकर सुल्तानपुरी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। सोमवार सुबह लखनऊ के लोहिया अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी पहचान मूलत: बाल साहित्कार के रूप में रही है और आज भी उनकी रचनाएं आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाई जाती है। बाल साहित्य की लगभग 500 से ज्यादा किताबें लिखने वाले शंकर हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं में सिद्धहस्त माने जाते थे। लघु कहानियां लिखने के साथ-साथ उन्होंने कई बेहतरीन कविताएं भी रचीं।कथाकार के रूप में भी उनकी पहचान रही है। तपस्वी भारत, बनदेवी का बेटा, खिलौने वाली, दुखभंजन की शोधयात्रा, महाकवि मंजनू आदि उनकी प्रमुख पुस्तकों में शामिल हैं। शंकर सुल्तानपुरी पिछले साठ बरसों से साहित्य और खास तौर पर बाल चित्रकथा के माध्यम से साहित्य सेवा कर रहे थे। साहित्य की दुनिया मे अटल जी जब पीछे होते थे तो इन्ही शकर सुल्तानपुरी जी से क्रम शुरू होता था। यह बात अलग है कि वो कालांतर में राजनेता सुशोभित हुए, लेकिन ये कवियों की दुनिया में मंच के कलाकार, सांस्कृतिक नायक थे।
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal