सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी का असर हो गया है. जानकारी के मुताबिक, अब कांग्रेस एसपी-बीएसपी के पारिवारिक सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी. अखिलेश यादव की नाराजगी का असर कुछ ऐसा हुआ कि कांग्रेस अब बदायूं सीट पर भी उम्मीदवार वापस लेने पर विचार कर रही है.
दरअसल, बदायूं सीट यादव परिवार की पारंपरिक सीट है. धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद है. साल 2014 में समाजवादी पार्टी ने जो पांच सीटें जीती थी. उसमें धर्मेंद्र यादव की बदायूं सीट भी थी. अखिलेश यादव ने 2019 के चुनावी दंगल में फिर धर्मेंद्र यादव को बदायूं से ही उम्मीदवार बनाया है, लेकिन कांग्रेस ने बदायूं से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी. कांग्रेस ने बदायूं से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता सलीम शेरवानी को प्रत्याशी बनाया है.
कांग्रेस के बदायूं सीट से उम्मीदवार उतारने के बाद अखिलेश यादव ने साफ कर दिया था कि अगर कांग्रेस बदायूं सीट से अपने प्रत्याशी की नाम वापस नहीं लेता है, तो अमेठी और रायबरेली में भी एसपी-बीएसपी गठबंधन अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा. अगर ऐसा होता तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि अमेठी और रायबरेली में कभी भी विपक्ष अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करता है. अखिलेश यादव के इस बयान से हलचल बढ़ी. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने इसलिए ही ये फैसला लिया है.
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