पवन हंस की बिक्री के लिए छह मार्च को ही बोली प्रक्रिया संपन्न हुई थी जिसमें कोई भी बोलीदाता आगे नहीं आया था

भारत सरकार की प्रमुख हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवन हंस को उबारने के लिए सरकार एक बार फिर नए सिरे से बोली मंगवा सकती है। संबंधित सूत्रों ने जानकारी दी कि इस महीने के अंत तक में सरकार द्वारा बोली मंगाने के लिए दस्तावेज जारी किये जा सकते हैं। इससे पहले कंपनी को बेचने की सरकार की मंशा सफल नहीं हो पायी थी। गौरतलब है कि, पवन हंस की बिक्री के लिए छह मार्च को ही बोली प्रक्रिया संपन्न हुई थी जिसमें कोई भी बोलीदाता आगे नहीं आया था। इसके बाद सरकार ने निवेशकों के साथ उनकी समस्याओं पर चर्चा की और बोली दस्तावेज को निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने का तय किया।

सूत्रों के अनुसार नए बोली दस्तावेजों में संभावित खरीदारों को कंपनी के ऊपर 500 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारी के एवज में क्षतिपूर्ति का प्रवाधान भी हो सकता है। बता दें कि कंपनी के ऊपर यह देनदारी विवादित कर मांग से संबंधित है।

आपको बता दें कि हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवन हंस के पास 46 हेलीकॉप्टर हैं, जिन्हें ब्लॉक में रखा गया है। इस समय पवन हंस का 51 प्रतिशत हिस्सा सरकार के पास है और शेष 49 प्रतिशत हिस्सा आयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के पास है। भारत सरकार हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस में पूरे 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री कर रही है। माना जा रहा है कि, इस हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी की पूरी हिस्सेदारी के बेचान से सरकार को करीब 1000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं।

गौरतलब है कि, पिछले साल अप्रैल में सरकार ने पवन हंस के 51 प्रतिशत हिस्से की बिक्री की बोली के लिए दस्तावेज जारी किये थे। इस बोली की अंतिम तारीख 18 जून थी। इसके बाद ओएनजीसी बोर्ड ने भी जुलाई में पवन हंस में उसके हिस्से के 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने का फैसला लिया था।

इसके बाद, अगस्त में सरकार ने बोली के लिए नए दस्तावेज जारी किए। इसमें सरकार ने बोलीदाताओं को ओएनजीसी के स्वामित्व वाली पवन हंस की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को भी बिक्री के लिए रखा। इसमें बोली के लिए अंतिम तारीख 12 सितंबर रखी गई थी। साथ ही बोली प्रक्रिया की गोपनीयता बनाये रखने के लिए बोली लगाने वालों की संख्या सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया था।

इसके बाद, इस साल फरवरी में, सरकार ने शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीदाताओँ को 6 मार्च तक अपनी बोलियां प्रस्तुत करने के लिए कहा था। लेकिन, छह मार्च तक कोई बोलीदाता आगे नहीं आया था। इसके बाद अब सरकार नए सिरे से और आकर्षित बोली दस्तावेजों के साथ एक बार भी बोलीदाताओं को आमंत्रित करने वाली है। 

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