कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और चिट्ठी लिखी है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह चुनाव के समय सभी राजनीतिक दलों का चुनावी खर्च वहन करने पर विचार करे। इस पर चर्चा के लिए उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने की भी मांग की है। चुनाव सुधार का हवाला देते हुए ममता ने कहा है कि चुनाव में धांधली को रोकने का यह सबसे अच्छा जरिया है। उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में चुनाव सुधार का आश्वासन दिया था। दुनिया भर के 65 देशों की सरकार अपनी सभी राजनीतिक पार्टियों के राजनीतिक खर्च वहन करती हैं। भारत में भी इसकी शुरुआत होनी चाहिए। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज नाम के एक संगठन ने सर्वे रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है ‘चुनावी खर्च 2019’। इसका उल्लेख करते हुए ममता ने लिखा है कि गत लोकसभा चुनाव में चुनावी इतिहास का सबसे अधिक खर्च हुआ है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जो खर्च हुए थे उसकी तुलना में 2019 में दोगुना खर्च हुआ है।
मुख्यमंत्री ने चिट्ठी में लिखा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है जो 8.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में महज 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च हुए थे। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह से चुनावी खर्च में बढ़ोतरी होती रही तो 2024 के लोकसभा चुनाव में एक लाख करोड़ रुपये का खर्च होने की आशंका है। अगर इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो धांधली रोक पाना संभव नहीं हो सकेगा। चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के लिए खर्च की अधिकतम राशि तय कर दी है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के प्रचार पर कोई लगाम नहीं है। प्रत्यक्ष तौर पर दुनिया के 65 देशों में राजनीतिक पार्टियों का खर्च केंद्र सरकार उठाती है जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर 79 देशों में ऐसा होता है। जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, डेनमार्क, स्पेन, स्वीडन जैसे देश राजनीतिक पार्टियों का खर्च वहन करते हैं। यहां तक कि विकसित देशों की सूची में शामिल अर्जेंटीना, मैक्सिको, ब्राजील, फ्रांस, कोलंबिया भी इस सूची में शामिल है। ऐसे में भारत सरकार को भी इस बारे में विचार करना चाहिए।
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal