केंद्र सरकार “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” में बड़ा परिवर्तन करने पर विचार कर रही है। जिसमें देश में कृषि बीमा का एक नया मॉडल भी शामिल है। जिसके तहत कृषि ऋण लेने वाले किसानों के लिए कार्यक्रम को वैकल्पिक बनाया जाएगा। ऐसा करने का विचार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कार्यान्वयन में दिक्कत और विलंबित भुगतान के कारण किसानों में गुस्सा है।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार को उम्मीद है कि योजना को वैकल्पिक करने से कृषि ऋण लेने वाले किसानों की परेशानी दूर होगी। खासतौर पर उनके लिए जिनके लिए फसल बीमा योजना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन किसानों के प्रीमियम का शेयर खुद ब खुद उनकी स्वीकृत ऋण राशि से कट जाता है। वहीं किसानों को जो मुआवजा मिलता है, उसमें अक्सर देरी होती है। हालांकि यह योजना उन किसानों के लिए पहले से ही वैकल्पिक है, जो ऋण का लाभ नहीं उठाते हैं।
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