मुस्लिम पक्ष की दलील- बाबरनामा के आधार पर मस्ज़िद थी विवादित इमारत
नई दिल्ली : अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 28वें दिन की सुनवाई शुक्रवार को पूरी हो गई। आज करीब एक घंटा ही सुनवाई हो पाई। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई 23 सितम्बर को पांच बजे तक होगी। आमतौर पर कोर्ट चार बजे तक ही बैठता है। आज मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बाबरनामा के आधार पर कहा कि इमारत मस्ज़िद थी। उसका निर्माण बाबर के हुक्म पर हुआ था। जन्मस्थान के नाम से याचिका दाखिल करने का मकसद मुस्लिम पक्ष को ज़मीन से पूरी तरह बाहर करना था। राजीव धवन ने बाबरनामा के अलग-अलग संस्करण और अनुवाद से साबित करने की कोशिश की कि मस्जिद बाबर ने ही बनवायी थी। धवन ने उन दस्तावेजों को पढ़ा, जिसके मुताबिक विवादित संरचना पर अरबी और फारसी शिलालेख में अल्लाह लिखा था।
पिछले 19 सितम्बर को राजीव धवन ने कहा था कि 1949 के मुकदमे के बाद सभी गवाह सामने आए। लोग रेलिंग तक क्यों जाते थे? इस बारे में किसी को नहीं पता। एक गवाह ने कहा था कि हिन्दू मुस्लिम दोनों वहां पर पूजा करते थे, मैंने किसी किताब में यह नहीं पढ़ा कि वह कब से एक साथ पूजा कर रहे थे? धवन ने एक हिंदू पक्ष के गवाह की गवाही के बारे में बताते हुए कहा था कि गर्भगृह में 1939 में वहां पर मूर्ति नहीं थी। वहां पर बस एक फोटो थी। मूर्ति और गर्भगृह की पूजा का कोई सबूत नहीं है।
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