लखनऊ। अपने विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले भाजपा के राज्यसभा सदस्य डॉ.सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार को नेहरू खानदान पर जमकर हमला बोला। स्वामी ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू और उनके परिवार ने अपने सम्मान के लिए देश के महापुरुषों की उपेक्षा की। नेहरू से पहले सरदार पटेल, भीमराव अंबेडकर और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न सम्मान मिलना चाहिए था, पर नेहरू ने इनकी जगह खुद यह सम्मान ले लिया।
महामना मालवीय मिशन की ओर से गन्ना संस्थान सभागार में ‘महामना और हिंदुत्व विषय पर आयोजित गोष्ठी में स्वामी ने कहा कि आज अगर हम इन महापुरुषों को सम्मान दे रहे हैं तो कांगे्रस चिढ़ क्यों रही है? नेहरू की जिद से ही संविधान में अनुच्छेद 370 जोडऩा पड़ा।
राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना दुखद
स्वामी ने कहा कि हमने सबको अपनाया है। उचित सम्मान दिया है। भारत में हर धर्म के लोग हैं और उनके धर्मस्थल भी। इतनी उदारता किसी देश में नहीं है। बावजूद हमको राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है। मुसलमानों की लड़ाई सिर्फ जिद की है। ङ्क्षहदू चाहें तो यह काम जबरन भी कर सकते हैं, पर करेंगे नहीं। हम संवाद में यकीन रखते हैं।
स्वामी ने कहा कि हिंदू अर्जुन की तरह संशय में हैं। दूसरे पक्ष का दिमाग साफ है। जहां-जहां वह बहुमत में आए दूसरे धर्मों को खत्म कर दिया। यहां भी वही करेंगे। हिंदुओं से अपील की कि वह अपने गौरवशाली अतीत को जानें, हीन भावना छोड़ें, मातृभाषा को तरजीह दें। संस्कृत के जरिये स्थानीय भाषाओं को भी उससे जोड़ें। राष्ट्र निर्माण के लिए सारे भेद भूलकर एक हों।
दम तोड़ चुका है समाजवाद
चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि सफलता साधनों से नहीं साधना से मिलती है। महामना मालवीय ने इसे साबित किया। वह शुद्ध, सनातनी हिंदू थे। इस भाव को उन्होंने कभी छिपाया भी नहीं। गंगा, गाय और गीता के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा थी। गीता भवन तो उन्होंने बनवाया ही। गाय और गंगा को लेकर उन्होंने आंदोलन भी किए। उनके इस बहुआयामी व्यक्तित्व की जगह लोग अधिकांश लोग उनको काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक के रूप में ही जानते हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि दुनिया संक्रमण के दौर से गुजर रही है।
समाजवाद दम तोड़ चुका है। बाजारवाद भी मरने के कगार पर है। आगे क्या होगा, इसे लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। सबकी नजरें भारत की ओर हैं। गो, गीता और गंगा के नाते भारत खास है। इसका इतिहास, संस्कृति और सभ्यता प्राचीनतम है। हमने हर आने वाले को आत्मसात किया है। अपनी आस्था के प्रति अभिमान और दूसरों के प्रति सम्मान हमारी खूबी रही है। गोष्ठी को संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभु नारायण, डा.शंकर, गोविंद अग्रवाल और आरके पांडेय ने भी संबोधित किया।
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