फिर से गुलजार हुई सुहाग नगरी

कांच कारखाना शुरू होने से मिला रोजगार, मजदूरों के चेहरे पर लौटी खुशियां

फिरोजाबाद। सुहागनगरी में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण बंद हुये कांच कारखाने अब धीरे-धीरे शुरू होने लगे हैं। कुछ कारखाने शुरू भी हो गये हैं। जिससे चूड़ी कारोबार से जुडे़ सैकड़ों लोगों को पुनः रोगजार मिला है और उनके चेहरों पर खुशियां लौट आयी हैं। फिरोजाबाद की काॅच की चूड़ियां देश-विदेश में विख्यात है, इसीलिए फिरोजाबाद को सुहागनगरी के नाम से जाना जाता है। सुहाग की प्रतीक काॅच की चूड़ियां तैयार करने वाली सैकड़ों फैक्ट्रयां कोविड 19 के चलते लाॅक डाउन के कारण पिछले साढ़े तीन महीने से बन्द हो गयी थी। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गयी थी। लेकिन अनलाॅक के बाद अब सरकार की अनुमति से चूड़ी कारखानों को शुरू किया जा रहा है और कुछ कारखाने चालू हो गये हैं। इन चूड़ी कारखानों में सरकार की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है।

कारखानों के गेट के अन्दर प्रवेश करने पर थर्मल चैकिंग, साबुन से हाथ धोना, सेनीटाइजर व मास्क का प्रयोग किया जा रहा है। कुछ कारखानों में ओटोमेटिक सेनीटाइजर सिस्टम लगाये गये हैं। चूड़ी कारखानों के चालू होने से सैकड़ों लोगों को पुनः रोजगार मिलने लगा है। जिससे इस कारोबार से जुडे लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी है। कारीगरों व मजदूरों के चेहरों पर पुनः रौनक आने लगी है। फिरोजाबाद के चूड़ी कारोबार से सिर्फ कारखानों के कारीगरों को ही रोजगार नहीं मिलता है बल्कि पल्लेदार, ठेल वाले, कुशल व अकुशल कारीगर, महिलाऐं भी रोजगार पाते हैं और घरों तक में काम होता है।

चूड़ी कारखाना स्वामी अनिल कुमार माहेश्वरी का कहना है कि कारखाने में दो गज की दूरी के साथ-साथ सरकार की गाइड लाइन का पूरा पालन किया जा रहा है। फैक्ट्री को प्रतिदिन सुबह व शाम सैनेटाइज कराया जाता है। मजदूरों को थर्मल स्क्रीनिंग से जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। चूड़ी कारखाने की महिला मजदूर कुसमा देवी का कहना है कि पिछले साढ़े तीन माह से काम बंद था। बहुत परेशान हो गये थे। पैसे की तंगी थी। अब काम चालू गया है तो मजदूरी कर बच्चों का अच्छे से भरण पोषण करेंगी और उन्हें पढ़ायेंगी। चूड़ी कारखाना मजदूर सलीम का कहना है कि लाॅकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां बंद हो गयी थी। अब फैक्ट्रियां चालू होने से बहुत राहत मिली है। मजदूरी मिलने से बच्चों का भरण पोषण अच्छे से हो रहा है।

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