मध्यप्रदेश में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को जबलपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। एमपी सरकार ओबीसी को आरक्षण देने में कंफ्यूज सी दिखाई दे रही है। मध्यप्रदेश के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को जबलपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। अपाक्स की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि 31 जुलाई को शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा विभाग ने व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन इस नोटिफिकेशन में ओबीसी को आरक्षण देने में विरोधाभास नजर आ रहा है।
हाई कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब
नोटिफिकेशन में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण रखा गया तो वहीं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। ऐसे में सरकार ओबीसी को आरक्षण देने में खुद कंफ्यूज नजर आ रही है। याचिका में उठाए गए तर्कों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है साथ ही ओबीसी आरक्षण संबंधी तमाम याचिकाओं के साथ अपाक्स की याचिका को भी सम्मिलित करने के निर्देश दिए गए हैं।
आरक्षण का कानून
गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में ओबीसी को सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनाया था, जिसे कई सामाजिक संगठनों और छात्रों के द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फिलहाल इस मामले में हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है कि सरकार किसी भी भर्ती प्रक्रिया में 27 फीसदी आरक्षण लागू न करें।
विरोधाभास की स्थिति हो स्पष्ट
हाई कोर्ट में अपाक्स की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील नमन नागरथ ने कहा कि सरकार ने दाखिलों के लिए जो नोटिफिकेशन जारी किया है, वो एक जैसा नहीं है। ऐसे में विरोधाभास की स्थिति को स्पष्ट किया जाए।
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