संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 75 साल पहले, युद्ध की भयावहता से एक नई आशा पैदा हुई। मानव इतिहास में पहली बार, पूरी दुनिया के लिए एक संस्था बनाई गई थी।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत उस महान दृष्टिकोण का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि इसने भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन को प्रतिबिंबित किया, जो सृष्टि को एक परिवार के रूप में देखता है। पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की वजह से आज हमारी दुनिया एक बेहतर जगह है।
हम उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने शांति और विकास के लिए काम किया और संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले उसके शांति अभियानों में योगदान दिया। इसमें भारत ने अग्रणी रहकर अपना योगदान दिया।
आज हम जो घोषणाएं या कार्य कर रहे हैं, उन्हें स्वीकार किया जा रहा है। हालांकि संघर्ष को रोकने, विकास को सुनिश्चित करने, जलवायु परिवर्तन, असमानता घटाने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर अभी भी और काम करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इन घोषणाओं और कार्यों के तहत खुद संयुक्त राष्ट्र के सुधार की आवश्यकता भी है। हम पुरानी संरचनाओं के साथ आज की चुनौतियों से नहीं लड़ सकते। व्यापक सुधारों के बिना, संयुक्त राष्ट्र के विश्वास का संकट है।
आज की अंतर्संबंधित दुनिया के लिए हमें एक सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता है, जो आज की वास्तविकताओं को दर्शाता हो, सभी हितधारकों को आवाज देता हो, समकालीन चुनौतियों का सामना करता हो और मानव कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता हो।
पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के एक संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत उस महान दृष्टिकोण का हिस्सा था। भारत ने हमेशा दुनिया को एक परिवार मानते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के अपने दर्शन को प्रतिबिंबित किया है। आज बहुत कुछ हासिल किया जा चुका है, परंतु मूल मिशन अभी भी अधूरा है, बहुत किया जाना और हासिल करना शेष है।
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