भारत ने अमेरिका से दो टूक कह दिया है कि मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों के मामले में वह उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकती. मोदी सरकार ने कई महंगे मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों में भारी कटौती कर दी है. अमेरिका ने अनुरोध किया था कि अब आगे इस प्राइस कटौती वाली सूची में और डिवाइसेज को शामिल न किया जाए, लेकिन भारत ने इस पर दो टूक जवाब देते हुए कहा कि वह इस मामले में अपने कदम को नहीं रोक सकता.
गौरतलब है कि सरकार ने हॉर्ट स्टेंट, नी इम्प्लांट जैसे काफी महंगे मेडिकल डिवाइसेज की कीमत में भारी कटौती करते हुए इनके दाम फिक्स कर दिए थे, ताकि आम आदमी इसका खर्च वहन कर सके. इसकी वजह से उच्च स्तर के हार्ट स्टेंट की कीमत करीब दो लाख रुपये से घटकर महज 30 हजार रुपये के आसपास आ गई थी. इससे कई अमेरिकी कंपनियों के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, भारत में दवा कीमत निर्धारण करने वाली अथॉरिटी (NPPA) दिल की बीमारी के उपचार में काम आने वाले तीन अन्य उपकरणों को कीमत नियंत्रण में दायरे में लाने की तैयारी कर रही है. ये उपकरण हैं-कार्डियक बलून, कैथेटर्स और गाइड वायर. इनमें से कुछ उपकरण स्टेंट से भी महंगे होते हैं.
भारत का करीब 5 अरब डॉलर का मेडिकल डिवाइस बाजार अबॉट लेबारेटरीज, बोस्टन साइंटिफिक कॉर्प जैसी अमेरिकी कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने का मुफीद स्थान रहा है. लेकिन सरकार द्वारा कीमतों में भारी कटौती से इन कंपनियों के मुनाफे पर काफी चोट पड़ी है.
पिछले साल सितंबर महीने में यूनाटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रजेंटेटिव (USTR) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (PMO) और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को एक लेटर लिखकर यह अनुरोध किया था कि ‘अब कीमत नियंत्रण के दायरे में और मेडिकल डिवाइसेज को न लाएं.’
पिछले महीने यूएसटीआर के असिस्टेंट ट्रेड रिप्रजेंटेटिव मार्क लिन्सकॉट के साथ एक बैठक में भारतीय अधिकारियों ने यह साफ कर दिया कि भारत ऐसा करने का वचन नहीं दे सकता.
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