स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू की बेटी विजय लक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं। आज उनकी 118वी जयंती है। आईये उनकी जन्मतिथि के इस अवसर पर हम आपको उनके जीवन से रूबरू कराते है। 
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को भारत के प्रतिष्टित राजनीतिक परिवार, नेहरू परिवार में हुआ था।
विजय लक्ष्मी पंडित का असली नाम स्वरूप कुमारी नेहरू था।
उनके पिता मोतीलाल नेहरू जानेमाने वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके बड़े भाई जवाहरलाल नेहरू को देश के पहले प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद विजय लक्ष्मी पंडित को संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्होंने 1921 में रंजीत सीताराम पंडित से शादी की थी। उसके बाद उनका नाम बदलकर विजय लक्ष्मी पंडित हो गया।
विजय लक्ष्मी पंडित ब्रिटैन और रूस जैसे देशों में भारत की राजदूत भी रह चुकी थी।
विजय लक्ष्मी 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रह चुकी है।
1953 में वो संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनीं। इस पद पर बैठने वाली वे पहली भारतीय महिला थी।
विजय लक्ष्मी पंडित 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद यूपी की फूलपुर लोक सभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी थी।
1975 में उन्होंने अपनी भतीजी इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का प्रमुखता से विरोध किया था। इसके बाद से इंदिरा और उनके रिश्ते हमेशा के लिए तल्ख हो गये।
1977 में उन्होंने अपने ही भाई की पार्टी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
विजय लक्ष्मी पंडित को लिखने का भी बेहद शौक था। द इवल्यूशन ऑफ इंडिया (1958) और द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस (1979) उनकी प्रसिद्ध किताबें हैं।
विजय लक्ष्मी पंडित का देहांत 90 वर्ष की उम्र में एक दिसंबर 1970 को देहरादून में हुआ था।
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