नई दिल्ली. कर्नाटक चुनाव में काउंटिंग के साथ मामला फंसता दिख रहा है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो सामने आई है, लेकिन बहुमत से दूर ही दिख रही है. ऐसे में चुनाव की शुरुआत से किंगमेकर बनते दिख रही, जेडी (एस) अब किंग बनती दिख रही है. कांग्रेस ने जेडी(एस) को समर्थन दे दिया है और शाम को हो सकता है जेडीएस राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने जाए. जनता दल के कद्दावर नेता रहे और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे एचडी देवगौड़ा ने साल 1999 में जनता दल से अलग होकर जनता दल (सेक्यूलर) की नींव रखी थी. बता दें कि साल 1996 में कांग्रेस के समर्थन से ही देवगौड़ा 10 महीने के लिए देश के प्रधानमंत्री बने थे.
बीजेपी की मदद से सीएम बने थे कुमारस्वामी
दूसरी तरफ देखें तो देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी बीजेपी के करीब रहे हैं. साल 2004 में कांग्रेस के साथ सरकार बना चुकी जेडीएस ने साल 2006 में कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला लिया. इसके पीछे कुमारस्वामी के मन में सीएम पद की कुर्सी थी. बीजेपी से समझौते के तहत जेडीएस और बीजेपी का 20-20 महीने का सीएम तह हुआ. कुमारस्वामी जनवरी 2006 में कर्नाटक के सीएम की कुर्सी पर पहुंच गए.
बीजेपी को दे चुके हैं झटका
कूमारस्वामी राजनीति करने से यहीं नहीं रुके. साल 2007 में सत्ता बीजेपी को सौंपने की जगह उन्होंने इस्तीफा दे दिया. ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. एक के बाद एक बदले समीकरण में जेडीएस ने एक बार फिर बीजेपी को समर्थन दे दिया. लेकिन 7 दिन में ही ये गठबंधन टूट गया.
सेक्यूलर राजनीति के लिए बनाया गठबंधन
जेडीएस अभी बसपा, लेफ्ट फ्रंट और ओवैसी के साथ गठबंधन के साथ चल रही है. इससे पहले भी साल 2015 में जेडीएस ने सपा, इनेलो, जेडीयू, आरजेडी और सजपा के साथ मिलकर बीजेपी विरोध में एक मोर्चा बनाया था. हालांकि बाद में आरजेडी-जेडीयू अलग हो गए और ये गठबंधन चल नहीं पाया. जनता दल से पीएम बने देवगौड़ा ने जेडीएस को देश के अन्य हिस्सों में भी फैला रखा है. केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट का हिस्सा है.
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