नगर निगमों के बकाया फंड को आधार बनाकर भाजपा आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई की तैयारी कर रही है। इसे वह अगले नगर निगम चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकार इसे लेकर रणनीति बनाने में जुट गए हैं। आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। धरना प्रदर्शन के साथ ही कानूनी लड़ाई लड़ने की भी तैयारी है।
भाजपा शासित तीनों नगर निगमों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन नहीं मिलने की वजह से पिछले दिनों निगम अस्पतालों के डॉक्टर व कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। सफाई कर्मचारी भी अक्सर आंदोलन करने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं, भाजपा इस स्थिति के लिए आप सरकार को जिम्मेदार ठहराती रही है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता व अन्य नेताओं का आरोप है कि सरकार जानबूझकर निगमों को वित्तीय रूप से पंगु बना रही है। लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का बकाया फंड नहीं दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को वेतन देने में परेशानी होने के साथ ही जनहित के अन्य काम बाधित हो रहे हैं।
बकाया फंड की मांग को लेकर तीनों नगर निगमों के महापौर, उप महापौर, स्थायी समिति के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी सात दिसंबर से मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दे रहे हैं। पूरा संगठन इस आंदोलन को सफल बनाने में जुट गया है। सभी भाजपा सांसदों व विधायकों को धरने में शामिल होने को कहा गया है। रोजना सांसद धरना स्थल पर पहुंच भी रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी के सभी विधायक व पूर्व महापौर एक-एक दिन धरना पर बैठे हैं। अब विधानसभा का चुनाव लड़ चुके नेता, भाजपा मोर्चा के अध्यक्ष, जिला अध्यक्षों व अन्य पदाधिकारियों को बारी-बारी से धरना स्थल पर पहुंचेंगे। आंदोलन को जिला व विधानसभा स्तर पर भी शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही पूरी दिल्ली में बकाया फंड की मांग को लेकर होर्डिंग्स और पोस्टर लगाए जाएंगे। मामले को अदालत में ले जाने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से पार्टी सलाह ले रही है। योजना जनहित याचिका दायर करने की है।
दरअसल निगमों की खराब वित्तीय स्थिति से भाजपा को अगले निगम चुनाव में नुकसान का डर सता रहा है। आप नेता निगमों के कामकाज पर लगातार सवाल उठाकर उसकी परेशानी बढ़ी है। इस स्थिति में पार्टी ने बकाया फंड को मुद्दा बनाकर पलटवार करने का फैसला किया है।
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