12वें और 13वें वित्त आयोग में जहां जनसंख्या को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए 25 प्रतिशत प्राथमिकता दी गई थी,

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि आगामी 30 सितम्बर को बिहार दौरे पर आ रही 15 वें वित्त आयोग की टीम के समक्ष केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा बढ़ाने की पूरी मजबूती से मांग की जायेगी।सुशील ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आगामी 30 सितम्बर को एन के सिंह की अध्यक्षता में चार दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे 15वें वित्त आयोग से केन्द्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने की पूरी मजबूती से मांग की जायेगी। उन्होंने कहा कि 12वें से लेकर 14वें वित्त आयोग के दौरान केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी में लगातार कमी आई है। सुशील ने कहा कि 12वें वित्त आयोग में जहां केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 11.028 प्रतिशत थी, वहीं 13वें वित्त आयोग में 10.917 और 14वें वित्त आयोग में यह हिस्सेदारी 9.787 प्रतिशत रही।12वें और 13वें वित्त आयोग में जहां जनसंख्या को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए 25 प्रतिशत प्राथमिकता दी गई थी,

उन्होंने कहा कि 12वें और 13वें वित्त आयोग में जहां जनसंख्या को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए 25 प्रतिशत प्राथमिकता दी गई थी, वहीं 14वें वित्त आयोग में इसे घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया। सुशील ने कहा कि इसी प्रकार वन क्षेत्र के लिए मिलने वाली 7.5 प्रतिशत प्राथमिकता का लाभ भी बिहार को नहीं मिल पाया क्योंकि झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में नाममात्र का ही वनक्षेत्र रहा। 

 चार दिवसीय दौरे के दौरान वित्त आयोग आगामी एक अक्तूबर को शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगा। सुशील ने कहा कि तीन अक्तूबर को बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले ज्ञापन पर विस्तृत चर्चा होगी तथा उसी दिन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ भी वित्त आयोग की टीम मुलाकात करेगी। उन्होंने कहा कि चार अक्तूबर को वित्त आयोग उद्योग-व्यावसाय से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगा। 

गौरतलब है कि अक्तूबर, 2019 तक 15 वां वित्त आयोग देश के सभी राज्यों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगा जिसके आधार पर 2020-2025 के लिए केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी निर्धारित की जायेगी।

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