समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि ऑपरेशन डॉन ऑफ फ्रीडम नामक इस हमले का टारगेट ग्रामीण अलेप्पो था, जहां 200,000 से अधिक सीरियाई कुर्द रहते हैं।
ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि सीरियन नेशनल आर्मी के बैनर तले काम कर रहीं तुर्की समर्थित गुटों ने तेल रिफात शहर सहित कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा कई इलाकों की घेराबंदी कर दी है, सड़कें ब्लॉक कर दी है और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों जाने से रोक दिया है।
जवाब में, सीरिया में कुर्द स्वायत्त प्रशासन ने आगे बढ़ रहे तुर्की समर्थित गुटों का विरोध करने के लिए लामबंदी की घोषणा की है।
तेल रिफात और उसके आस-पास के इलाके 2016 से कुर्द नियंत्रण में हैं। ये पिछले तुर्की सैन्य अभियानों की वजह से विस्थापित कुर्दों के लिए शरणस्थली बन हुए हैं।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब सीरिया में व्यापक संघर्ष छिड़ा हुआ है। हयात तहरीर अल-शाम जैसे विद्रोही ग्रुप और उसके सहयोगी गुट सरकार द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों के खिलाफ बड़े अभियान चला रहे हैं।
तुर्की सरकार सीरिया में कुछ कुर्द समूहों, विशेष रूप से पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी) को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा मानती है।
अंकारा का मानना है कि वाईपीजी के कथित रूप से कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से संबंध हैं। पीकेके को तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने आतंकी संगठन घोषित किया है।
इस बीच सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने आतंकवादी संगठनों से पूरी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ने का संकल्प लिया।
असद ने इस बात पर जोर दिया कि विद्रोहियों के खिलाफ सीरिया की लड़ाई ना केवल राष्ट्रीय हितों बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी जरूरी है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने सरकारी समाचार एजेंसी सना के हवाले से बताया कि असद ने अराघची से कहा, आतंकवाद का सामना करना, इसकी संरचना को खत्म करना और इसके स्रोतों को खत्म करना पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद है।
वहीं अराघची ने ईरानी नेतृत्व की तरफ से उन्हें समर्थन का संदेश दिया। इसमें सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता के प्रति ईरान की प्रतिबद्धता और चल रहे संघर्ष में व्यापक समर्थन प्रदान करने की उसकी तत्परता को जाहिर किया गया।
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