दुनिया का सबसे प्राचीन सोनभद्र का जीवाश्म पार्क यूनेस्को की धरोहर में शामिल

लखनऊ: योगी सरकार ने दुनिया के सबसे प्राचीन जीवाश्म पार्क में शुमार सोनभद्र के सलखन फॉसिल्स पार्क को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल करने में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सलखन फॉसिल पार्क का विवरण अब यूनेस्को की वेबसाइट https://whc.unesco.org/en/tentativelists/6842/ पर देखा जा सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को नयी उड़ान मिलेगी। फिलहाल सलखन फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है। वहीं सीएम योगी के निर्देश के क्रम में इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल करने के लिए डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द भारत सरकार को सौंपा जाएगा। माना जा रहा है कि आगामी 2 वर्षों में फॉसिल्स पार्क यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल हो सकता है।

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में दर्ज हुआ फॉसिल्स पार्क

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में पयर्टन को बढ़ावा देने के लिए लगातार अहम कदम उठा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में इको टूरिज्म को भी बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि इको पर्यटन विकास बोर्ड ने हाल ही में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य से दुधवा टाइगर रिजर्व तक रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली पर्यटक ट्रेन में विस्टाडोम कोच का संचालन शुरू किया है। वहीं सीएम योगी के नेतृृत्व में उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड ने दुनिया के सबसे प्राचीन जीवाश्म पार्क में शुमार सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखान गांव के पास स्थित सलखन फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में दर्ज कराने की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग की ओर से एक साल से प्रयास किया जा रहा था। फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की लिस्ट में दर्ज कराने के लिए 26 जून 2024 को माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड एवं राजधानी स्थित बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान के मध्य एमओयू साइन किया गया था। इसके तहत संस्थान की ओर से फॉसिल्स पार्क पत्थरों पर मौजूद जीवाश्म का अध्यन किया गया, जिसमें 1400 मिलियन वर्ष पुराने शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स के जीवाश्म पाए गए, जो धरती पर प्राचीन जीवन के प्रमाण देते हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर यूनेस्को की सूची में पार्क को शामिल करने के लिए अप्लाई किया गया।

आगामी 2 वर्षों में यूनेस्को की स्थायी सूची में दर्ज हो सकता है सलखन फॉसिल्स पार्क

पर्यटन निदेशक प्रखर मिश्र ने बताया कि किसी भी धरोहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए पहले उसे अस्थायी की सूची में शामिल किया जाता है। इसके बाद स्थायी सूची में दर्ज कराने के लिए डोजियर तैयार कर आगे की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लगता है। साथ ही यूनेस्को की टीम आ कर उस स्थान का अध्यन करती है, जिसे यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल किया जाता है। पर्यटन निदेशक ने बताया कि सोनभद्र के फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में दर्ज कराने के लिए डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही भारत सरकार को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद इसे यूनेस्को को भेजा जाएगा। उन्होंने उम्मीद जतायी है कि आगामी 2 वर्षों में फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में स्थान मिल सकता है। इससे जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को ख्याति प्राप्त होगी, वहीं वैश्विक स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि सलखन फॉसिल पार्क का विश्व के अन्य जीवाश्म पार्कों से तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। सलखन के जीवाश्म लगभग 140 करोड़ वर्ष पुराने हैं वहीं विश्व धारी सूची में पूर्व से सम्मिलित अमेरिका के येलो स्टोन पार्क के जीवाश्म लगभग 50 करोड़ वर्ष पुराने, कनाडा के मिस्टेकन प्वाइंट के जीवाश्म लगभग 55 करोड़ वर्ष पुराने तथा कनाडा के जॉगिंस फॉसिल क्लिफ के जीवाश्म 31 करोड़ वर्ष पुराने है। सलखन फॉसिल पार्क के जीवाश्म की महत्ता के दृष्टिगत इनके यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित होने की प्रबल संभावना है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड अनवरत कार्यरत है।

यह है सोनभद्र फॉसिल्स पार्क का इतिहास

पृथ्वी की प्राचीन धरोहर में बढ़ती राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रुचि के बीच, सलखन फॉसिल पार्क, जिसे सोनभद्र फॉसिल्स पार्क भी कहा जाता है, यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में एक स्थायी स्थान प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित सालखान गांव के पास स्थित यह पार्क, कैमूर वन्यजीव अभयारण्य और विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच एक सुंदर भू-भाग में स्थित है। 25 हेक्टेयर में फैली यह स्थल प्राचीन बलुआ पत्थर में संरक्षित कुछ सबसे पुरानी और सर्वश्रेष्ठ स्ट्रॉमैटोलाइट्स (प्राचीन, परतदार, सूक्ष्मजीवों से बने चट्टान के गठन) का घर है, जो लगभग 1.4 अरब वर्ष पुरानी हैं। ये जीवाश्म सूक्ष्मजीव संरचनाएं पृथ्वी पर जीवन के सबसे प्रारंभिक रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं और ग्रह के जैविक अतीत में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

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