टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशा-निर्देशों में संशोधन का रखा प्रस्ताव

नयी दिल्ली : टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) का सही-सही आकलन करने के उद्देश्य से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशा-निर्देशों में संशोधन करने जा रहा है।

मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि दो जुलाई को इस संबंध में मसौदा जारी किया। इस मसौदे में मीडिया घरानों के लिए कुछ प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को हटाया गया है, ताकि देश में टेलीविजन दर्शकों की माप पारिस्थितिकी तंत्र को लोकतांत्रिक और आधुनिक बनाने के लिए मौजूदा एआरसी के अलावा और अधिक कंपनियों को अनुमति दी जा सके। मंत्रालय ने मसौदा जारी होने के 30 दिनों के भीतर हितधारकों और आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए हैं। उल्लेखनीय है कि टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशा-निर्देश 2014 में जारी किए गए थे।

मंत्रालय ने बताया कि भारत में वर्तमान में लगभग 23 करोड़ घरों में टेलीविज़न हैं। जबकि वर्तमान में केवल 58,000 लोगों के घरों को ही दर्शकों के डेटा को कैप्चर करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो कुल टीवी वाले घरों का केवल 0.025 प्रतिशत है। यह अपेक्षाकृत सीमित नमूना है। इसके अलावा, स्मार्ट टीवी, स्ट्रीमिंग डिवाइस और मोबाइल एप्लिकेशन जैसे उभरते प्लेटफार्मों पर दर्शकों की संख्या को पर्याप्त रूप से कैप्चर नहीं किया जा रहा है। मौजूदा टीआरपी सिस्टम से जुड़ी समस्याएं

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल फिलहाल टीवी रेटिंग देने वाली एकमात्र एजेंसी है।

यह कनेक्टेड टीवी डिवाइस व्यूअरशिप को ट्रैक नहीं करती, जबकि यह एक बड़ा ट्रेंड है।

मौजूदा नीतियों में प्रवेश संबंधी बाधाएं थीं, जो नए कंपनियों को टीवी रेटिंग क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकती थीं।

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