नीरज चोपड़ा ने जताई उम्मीद-‘एनसी क्लासिक’ भारत में बनेगा विश्वस्तरीय एथलेटिक्स इवेंट्स का रास्ता

बेंगलुरु : दोहरे ओलंपिक पदक विजेता और विश्व चैंपियन नीरज चोपड़ा का सपना अब साकार होता दिख रहा है। शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित होने जा रहे ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ (एनसी क्लासिक) जेवलिन थ्रो मीट को लेकर नीरज ने उम्मीद जताई है कि यह टूर्नामेंट भविष्य में भारत में और भी बड़े अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स आयोजनों की नींव बनेगा।

यह टूर्नामेंट नीरज चोपड़ा और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है और यह भारत में आयोजित होने वाला अब तक का सबसे उच्च रेटिंग वाला एथलेटिक्स आयोजन माना जा रहा है।

प्रतियोगिता की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीरज ने कहा, “सबसे जरूरी बात ये है कि इस आयोजन को सफल बनाना है। प्रदर्शन की बात तो है ही, लेकिन उससे ज्यादा अहम ये है कि यह इवेंट सफल हो ताकि इसे और आगे बढ़ाया जा सके। भविष्य में इसमें और खेल जोड़ें जाएं और भारतीय खिलाड़ियों को बड़े मंच पर मौका मिले।”

27 वर्षीय नीरज ने भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके नाम से कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन होगा। उन्होंने कहा, “ये एक ऐसा सपना है जो मैंने कभी देखा भी नहीं था लेकिन अब जब एएफआई, सरकार, वर्ल्ड एथलेटिक्स और प्रायोजकों का साथ मिल रहा है तो लगता है कुछ भी संभव है।”

उन्होंने बताया, “कल जब मैं जिम में ट्रेनिंग कर रहा था और थॉमस रोहलर और बाकी थ्रोअर मैदान पर अभ्यास कर रहे थे, तब मुझे अहसास हुआ कि यही वह पल है जिसका मैं इंतजार कर रहा था।”

जूलियस येगो बोले—’चोपड़ा ने जेवलिन को वैश्विक बना दिया’

वर्ष 2015 के वर्ल्ड चैंपियन केन्या के जूलियस येगो ने कहा कि जेवलिन थ्रो कभी यूरोप तक सीमित खेल माना जाता था, लेकिन नीरज चोपड़ा की वजह से यह अब वैश्विक हो चुका है। उन्होंने कहा, “जब मेरे मैनेजर ने मुझे इस आयोजन के बारे में बताया तो मैंने तुरंत कहा, ‘हां, मुझे भारत जरूर जाना है क्योंकि नीरज मेरा अच्छा दोस्त है।’ और आज हम यहां हैं।”

थॉमस रोहलर ने कहा- ‘अब अगला कदम है स्थायी ढांचा बनाना’

2016 रियो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता थॉमस रोहलर ने कहा कि एनसी क्लासिक भारत में जेवलिन के विकास की अगली स्वाभाविक कड़ी है। उन्होंने कहा, “पहला कदम था नीरज जैसे सितारे का उभरना, दूसरा कदम है ऐसे इवेंट्स का आयोजन। लेकिन तीसरा और सबसे जरूरी कदम है—सपोर्ट सिस्टम बनाना। क्योंकि अब युवा टैलेंट आएंगे और उन्हें कोच, इंफ्रास्ट्रक्चर और सहयोग चाहिए होगा।”

रोहलर ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में भारत और इसके आसपास के देश जेवलिन जैसे तकनीकी खेलों में गंभीर निवेश करेंगे और इस क्षेत्र को नई ऊंचाई देंगे।

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