जयशंकर ने की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से वार्ता,

बीजिंग : भारत ने चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक प्रगति बनाये रखना दोनों देशों की साझा की जिम्मेदारी बताते हुए आज आशा व्यक्त की कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति को दृढ़ता से बरकरार रखा जाएगा।

 

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने यहां अपने चीनी समकक्ष वांग यी से द्विपक्षीय बैठक की जिसमें दोनों नेताओं ने आपसी मुद्दों और वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और इस बात पर भी जोर दिया कि भारत एवं चीन को पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देने तथा प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचने की जरूरत है।

डॉ‍ जयशंकर ने अपने शुरुआती वक्तव्य में द्विपक्षीय संबंधों में हालिया सकारात्मक प्रगति को बनाए रखने और सीमावर्ती मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हम अपने संबंधों के प्रति एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाएँ और रणनीतिक संचार को नियमित करें। इस स्थिर और रचनात्मक संबंधों से ही विश्व को लाभ मिलेगा। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि यह तभी संभव है जब पारस्परिक तौर पर सम्मान, हित और संवेदनशीलता बनायी रखी जाये।

विदेश मंत्रालय की ओर से जयशंकर के उद्घाटन वक्तव्य को जारी किया गया है। वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे हैं। उन्होंने चीन को एससीओ की अध्यक्षता संभालने पर शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारत उनकी अध्यक्षता में रचनात्मक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि कज़ान में 2024 में दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात के बाद संबंधों में सकारात्मक गति आई है, जिसे बनाए रखना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद बढ़ा है और भविष्य में यह नियमित रूप से एक-दूसरे के देशों में होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने संबंधों के प्रति दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाएँ। अक्टूबर 2024 में कज़ान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद से, भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी ज़िम्मेदारी इस गति को बनाए रखना है।” उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता द्विपक्षीय विश्वास और संबंधों के विकास की मूल आधारशिला है। अब सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक है, जिनमें तनाव कम करना शामिल है।

डॉ जयशंकर ने एससीओ के संदर्भ में आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता या आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर बल देते हुए कहा, “आज की हमारी बैठक में वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल होगा। कल, हम एससीओ के प्रारूप में बैठक करेंगे, जिसका प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है। यह एक साझा चिंता का विषय है और भारत आशा करता है कि आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति को दृढ़ता से बरकरार रखा जाएगा। विदेश मंत्री के रूप में, आप लंबे समय से हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों के लिए ज़िम्मेदार रहे हैं। मुझे इस गहन परिवर्तन के दौर में हमारे संबंधों की स्थिति पर इस गहन चर्चा से प्रसन्नता हो रही है। मैं विचारों के रचनात्मक और दूरदर्शी आदान-प्रदान की आशा करता हूँ।”

हाल ही में चीन में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तानी पक्ष के आग्रह पर चीन के समर्थन के कारण संयुक्त वक्तव्य पर भारत ने विरोध जताया था और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो सका था।

डॉ जयशंकर ने कहा कि इस वर्ष भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने में सहयोग के लिए चीन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने व्यापार प्रतिबंधों से बचने और जन संपर्क को सामान्य बनाने की आवश्यकता जताते हुए कहा, “आज दुनिया के पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ, हमारे संबंधों के विविध पहलू और आयाम हैं। हमारे लोगों के बीच आदान-प्रदान को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं। इस संदर्भ में यह भी आवश्यक है कि प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचा जाए।”

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच 2020 से सीमा विवाद के चलते संबंधों में तनाव रहा है। हाल के महीनों में सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के माध्यम से दोनों पक्षों ने कुछ क्षेत्रों में तनाव घटाने में प्रगति की है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com